गर्भपात कानून पर जनमत संग्रह कराएगी आयरलैंड सरकार
डबलिन, 30 जनवरी (आईएएनएस)| आयरलैंड सरकार ने देश में गर्भपात के कठोर कानून को शिथिल करने के लिए मई में जनमत संग्रह कराने की सहमति दे दी है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार आयरलैंड के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लिओ वरदकर ने इस मुद्दे पर पहली बार कहा कि गर्भपात नियमों को उदार करने के लिए वह एक मुहिम चलाएंगे और मई के अंत में इसके लिए जनमत संग्रह कराया जाएगा।
कैथोलिक समुदाय की बहुलता वाले देश आयरलैंड में पिछले 35 वर्ष से गर्भपात को कानूनन अपराध माना जाता है और केवल गर्भवती महिला की जीवन रक्षा के लिए इसकी अनुमति दी जाती है। दुष्कर्म के मामलों में, सगे सम्बंधी से यौन संबंध बनने के बाद गर्भवती होने पर या जानलेवा असामान्य भ्रूण होने की स्थिति में गर्भपात की अनुमति नहीं है।
वरदकर ने कहा कि वे मां और अजन्मे बच्चे को समान जीवन का अधिकार देने वाले संविधान के आठवें संशोधन को रद्द करने लिए ‘हां’ मत के पक्ष में आवाज उठाएंगे।
उन्होंने कहा, हम पहले ही असुरक्षित, अनियंत्रित और अवैध गर्भपात की समस्या से जूझ रहे हैं। हम अपनी समस्याओं का निर्यात और समाधान का आयात करना जारी नहीं रख सकते।
उन्होंने कहा, मैं जानता हूं कि आयरलैंड के लोगों के लिए यह एक मुश्किल निर्णय होगा।
मतदान से पहले स्वास्थ्य मंत्री एक कानून का मसौदा पेश करेंगे जिसमें 12 सप्ताह तक की गर्भवती और असाधारण परिस्थितियों में गर्भपात की अनुमति का प्रावधान होगा।
संसद में इस कानून पर बहस के बाद जनमत संग्रह की तिथि निश्चित की जाएगी।
आयरलैंड की राष्ट्रीय महिला परिषद ने जनमत संग्रह के फैसले का स्वागत किया है।
संगठन की निर्देशक ओरला ओ’कॉनर ने कहा, प्रत्येक गर्भाधान भिन्न होता है, प्रत्येक निर्णय निजी होता है। देश की महिलाएं और लड़कियां सम्मान की हकदार हैं। वे निजता के अधिकार, परिवार, घर की हकदार हैं।
वरदकर बीती जून में देश के सबसे युवा और पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री बने थे।
वर्ष 2012 में गालवे अस्पताल में एक भारतीय महिला सविता हलप्पनवर को अकाल प्रसव (मिसकैरेज) के बाद गर्भपात की अनुमति नहीं मिलने पर उसकी मृत्यु हो गई थी। इसके बाद गर्भपात के नियमों को सरल करने की मुहिम शुरू हो गई।