दुनिया में भारत को नया सम्मान मिला : राष्ट्रपति
नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने सोमवार को कहा कि सरकार के सफल कूटनीतिक प्रयासों की वजह से भारत को दुनिया में नया सम्मान मिला है। कोविंद ने बजट सत्र की शुरुआत में संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा, मेरी सरकार के सफल कूटनीतिक प्रयासों के कारण भारत को एक नया सम्मान मिला है।
उन्होंने कहा, इसके फलस्वरूप देश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून न्यायाधिकरण, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन व आर्थिक व सामाजिक परिषद में प्रतिनिधित्व पाने में सक्षम हुआ है।
इसी संबंध में उन्होंने बीते साल अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी के चुनाव का भी उल्लेख किया।
राष्ट्रपति ने भारत के चार निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में से तीन में स्वीकार्यता मिलने का उल्लेख किया। इसमें मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण प्रणाली, वासेनार व्यवस्था और आस्ट्रेलिया समूह में स्वीकार्यता मिली है।
मानवता की सेवा को भारत की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग बताते हुए उन्होंने कहा कि संकट की स्थिति में भारत सबसे पहले हाथ बढ़ाने वालों में रहा है, इसमें चाहे नेपाल में आया भूकंप हो, श्रीलंका में बाढ़ या मालदीव में पीने के पानी का संकट, सभी जगहों पर सबसे पहले भारत पहुंचा।
उन्होंने कहा, आज विश्व के किसी भी कोने में बसे सभी भारतीयों को यह भरोसा है कि वे कहीं भी संकट में पड़ेंगे तो उनकी सरकार उन्हें सुरक्षित निकालकर स्वदेश वापस ले आएगी। वर्ष 2014 के बाद से विदेश में संकट में फंसे 90,000 से अधिक भारतीयों को वापस लाया गया है।
संपर्क के संबंध में उन्होंने कहा कि चाबाहार बंदरगाह का चालू होना एक ऐतिहासिक घटना है। इसे संयुक्त रूप से भारत, ईरान व अफगानिस्तान ने विकसित किया है।
उन्होंने कहा, इस बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान को गेहूं की पहली खेप भेजी गई है। इस वर्ष भारत-अफगानिस्तान के बीच हवाई-गलियारे की शुरुआत भी हुई है, जिसमें माल-ढुलाई का कार्य शुरू हो गया है।
भारतीय प्रवासियों से संबंधों की प्रगति में मजबूती की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि नौ जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस पर विश्व भर में फैले भारतीय प्रवासियों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय मूल के दुनिया भर के सांसदों ने भाग लिया। इसमें 24 देशों के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उन्होंने गणतंत्र दिवस पर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के 10 राष्ट्राध्यक्षों के अतिथि के तौर भाग लेने का भी जिक्र किया और इसे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का एक खास पक्ष बताया।