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तीन तलाक के कानून का खौफ, सजा के डर से मुसलमान तेजी से दे रहे तलाक

 

संसद में तीन तलाक बिल पेश होने के बाद तलाक देने के मामलों में अचानक तेजी आ गई है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नियों को तलाक देने के मामले में हड़बड़ी दिखा रहे हैं। जाहिलाना परिवेश में पले बढ़े मर्दों को बीवियों से छुटकारा पाने का यह समय मुफीद लग रहा है।

बरेली के बाकरगंज इलाके में एक शख्स ने अपनी पत्नी को सिर्फ इस वजह से तलाक दे दिया क्योंकि उसने अपनी बेटी को स्कूल में दाखिला दिलाने को कहा था। तलाक देने वाले शख्स ने गुस्से में चिल्लाकर कहा, ‘मोदी और योगी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। मैं तुम्हें तलाक देता हूं, तलाक देता हूं, तलाक देता हूं’। पीड़ित पत्नी ने कहा कि उसके पति बेटी के जन्म के बाद से ही नाराज थे।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 28 दिसंबर को मुस्लिम महिला विधेयक– 2019 लोकसभा में पेश किया था। इसे तीन तलाक विधेयक के नाम से भी जाना जाता है। विपक्षी दलों की आपत्ति के बीच उसी दिन इसे पास करा लिया गया

लखनऊ के वकील मोहम्मद रज्जन के अनुसार, विधेयक के कानून बनने पर तीन तलाक अवैध हो जाएगा। कानून के उल्‍लंघन का दोषी पाए जाने पर मर्द को 3 साल की जेल की सजा भी हो सकती है। तीन तलाक विधेयक अब राज्यसभा में है। संभावना है कि इसे संसद के बजट सत्र में शामिल किया जाएगा।

‘तलाक देने का यह सही समय है’

यूपी मुस्लिम महिला अधिकार मंच की संयोजक शाहीन परवेज तीन तलाक प्रथा के खिलाफ है। वो कहती हैं कि हर वो मुस्लिम व्यक्ति जो अपनी पत्नी और परिवार से छुटकारा पाना चाहता है, उसे लगता है कि यह तलाक देने का सही समय है।

शाहीन कहती हैं, ‘सब मर्दों को पता चल गया है कि अगर अब तलाक-ए-बिद्दत हो गया तो जेल जाना पड़ सकता है। इसलिए सब तलाक की जल्दी में हैं। तभी तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यूपी में 70 से ज्यादा तीन तलाक के मामले सामने
आए हैं।’

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