खेल

मैराथन के माध्यम से ‘बेटी बचाओ’ की अपील करेंगे जुड़वा भाई

नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)| पांच साल की उम्र से टाटा मुंबई मैराथन में हिस्सा ले रहे ग्रांट रोड वेस्ट में रहने वाले दो जुड़वां भाई इस साल इस मैराथन में ‘बेटी बचाओ’ के संदेश के साथ उतरेंगे।

मुंबई में 21 जनवरी को होने वाली मैराथन में अक्षय और लक्ष्य के साथ उनके पिता मितेन शाह भी हिस्सा लेंगे। आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में शाह ने कई मैराथन में हिस्सा लेने पर कई बातें साझा की।

मितेन ने कहा, मैंने 2010 में इसकी शुरुआत की थी। मेरे बच्चे तब पांच साल के थे और उनके साथ मैं इस मैराथन का हिस्सा बना था। मेरे जुड़वां बच्चों का जन्म दो अक्टूबर को हुआ है और इसलिए, हमारी पहली थीम-गांधी जी पर थी और हमने शांति का संदेश दिया था।

अपने दोनों बच्चों के साथ मितेन इस मैराथन के ड्रीम रन में हिस्सा लेते हैं। पिछले साल उन्होंने इसमें जीत हासिल की थी। उनकी थीम ध्रूमपान छोड़ो थी और इसके लिए वह तैयार होकर भी आए थे। उन्हें सर्वश्रेष्ठ परिधान के पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपये की राशि मिली थी।

इस बार मितेन के साथ 13 साल के जुड़वां भाई-लक्ष्य और अक्षय बेटी बचाओ के संदेश के साथ उतरेंगे। इसकी तैयारी के बारे में मितेन ने कहा, हम ग्रुप में इस मैराथन में हिस्सा लेते हैं। हमारी थीम हम ही चुनते हैं। हर साल के लिए मैं अपने जीजा भरत नंदू और उनके बेटे समित तथा अपने बच्चों के साथ मिलकर मैराथन के विषय पर चर्चा करते हैं। हम नौंवीं बार इस मैराथन में हिस्सा ले रहे हैं। लड़की बचाओ का विचार हमारे दिमाग में इसलिए आया क्योंकि हम देख रहे थे कि हमारे समाज में लड़कियों की क्या स्थिति है। हमारे प्रधानमंत्री भी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर जोर दे रहे हैं।

मितेन ने कहा कि शुरु में उन्हें अपने बच्चों को तैयार करने के लिए थोड़ी कोशिश करनी पड़ी, लेकिन इसमें ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

लक्ष्य और अक्षय इस मैराथन का अब जाना-माना चेहरा बन गए हैं। वह हर साल एक नई थीम के साथ उसी के रंग में रंगकर मैराथन में उतरते हैं। इस साल वह नौंवीं बार मैराथन का हिस्सा बनेंगे। इस मैराथन के लिए उन्हें तैयार करने की जिम्मेदारी उनके पिता मितेन की बहन की होती हैं।

आजकल के समय में बच्चे अपना अधिकतर समय उपकरणों के साथ गुजारते हैं और बाहरी खेल-कूद के मायने बच्चों के बीच कम होते जा रहे हैं।

इस पर पेशे से व्यापारी मितेन ने कहा, बाहरी गतिविधियों को लेकर मेरे बच्चे बेहद सक्रिय हैं। वह खुद ही समझते हैं और जानते हैं कि उनके लिए बाहर खेलना जरूरी है। वह सुबह जल्दी स्कूल जाते हैं। सात से आठ बजे तक वह फुटबाल का प्रशिक्षण लेते हैं।

मितेन ने कहा कि उन्हें देखकर उनके रिश्तेदारों ने भी मैराथन में जाना शुरू कर दिया। वे भी अब पूरे रोमांच और जोश के साथ हिस्सा लेते हैं। हर किसी से मिलने वाले समर्थन को देखकर मितेन और भी खुश हो जाते हैं।

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