तो क्या विश्वास को राज्यसभा न भेजकर सीएम केजरीवाल ने चला है मास्टरस्ट्रोक?
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) ने 3 जनवरी को संजय सिंह, व्यापारी सुशील गुप्ता व चार्टर्ड अकांउटेंट एन.डी.गुप्ता को दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया। वहीं इस निर्णय की आप नेता व कवि कुमार विश्वास ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि उन्हें सच बोलने के लिए दंडित किया गया है। पार्टी ने यह निर्णय आप की शीर्ष निर्णायक इकाई, राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास पर लिया।
बैठक में आप के अधिकतर विधायक शामिल हुए। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तीनों उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की और कहा कि पार्टी संयोजक केजरीवाल बाहरी और पार्टी से जुड़े लोगों को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। विश्वास ने कहा, केजरीवाल चाहते थे कि राज्यसभा के लिए उन लोगों को नामित किया जाए, जिन्होंने मीडिया, अर्थव्यवस्था, कानून और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया है। इसलिए ऐसे 18 नामों पर चर्चा की गई थी। हालांकि पार्टी के इस फैसले पर विरोधी तो मजे ले रहे हैं, मगर कार्यकर्ता हैरान हैं। कई पूर्व सहयोगियों ने अरविंद केजरीवाल के इस फैसले पर हैरानी जताई है, पर शायद दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल का ऐसी बातों से कोई मतलब नहीं है।
बता दें कि सीएम केजरीवाल ने कृष्ण प्रताप सिंह का एक ट्वीट रिट्वीट किया है, जिसमें इस पूरे फैसले को ‘मास्टरस्ट्रोक’ बताया गया है। ट्वीट में लिखा है, ‘सच कहूं तो मैं दो गुप्ताओं के चुनावी महत्व को नहीं समझा था मगर जब तक बीजेपी के एक नेता ने मुझे डायरेक्ट मैसेज कर कहा कि यह एके (अरविंद केजरीवाल) का मास्टरस्ट्रोक है। बीजेपी का शहरी वोट कांग्रेस के साथ जाने की संभावना नहीं है, मगर वह आप के साथ आराम से जा सकता है। चालाक।’ केजरीवाल इसे रिट्वीट करके कार्यकर्ताओं को शायद फैसले के पीछे की वजह समझाना चाह रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ स्वयं को नजरअंदाज किए जाने से नाराज कुमार विश्वास ने पार्टी पर हमलावर हो गये, उन्होंने कहा कि उन्हें सच बोलने की सजा दी गई है। उन्होंने कहा, “मैं गुप्ता को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ बीते 40 साल, अरविंद केजरीवाल के लिए 12 साल, पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए सात साल व पार्टी के विधायकों के लिए बीते पांच सालों से काम करने के लिए बधाई देता हूं।”