लड़की को कार से घर छोड़ने साथ आए दो लड़के तो कराया वर्जिनिटी टेस्ट
अफगानिस्तान से भले ही तालिबान का खात्मा हुए सालों बीत गए हो, लेकिन देश की महिलाओं को अब भी सदियों पुराने दकियानूसी कानूनों और शर्मनाक रवायतों का सामना करना पड़ता है। अफगानिस्तान की एक ऐसी ही कहानी हम आपको बता रहे हैं। ये कहानी है 18 साल की युवती निदा की।
निदा मध्य अफगानिस्तान के बामियान की रहने वाली है। बात 2015 की है। गरीबी में पली बढ़ी निदा उस घटना को याद कर घबरा उठती है जब एक लड़के के साथ घर आने पर अफगानिस्तान की मोरल पुलिस ने उसका वर्जिनिटी टेस्ट करवा दिया था।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक निदा एक थियेटर के रोल के लिए देर रात तक लड़के के साथ रिहर्सल करती रही। रात का वक्त था, अगर वह पैदल चलती तो घर पहुंचने में उसे दो घंटे लग जाते। इसलिए निदा और एक अन्य लड़की ने दो लड़कों के साथ कार में घर जाने का फैसला किया।
निदा कहती है कि पैसे की किल्लत इतनी थी कि कई बार अम्मी कह देती अगर रिहर्सल के बाद तुम्हें पैसे देकर आना है तो तुम बिना खाना खाये घर से जाया करो। घर से मिलने वाले पैसे उसकी ख्वाहिशें तो दूर जरूरतें तक भी पूरी ना कर पाते।
जिंदगी की इन्हीं मुशिकलों को ध्यान में रखते हुए निदा ने उस मनहूस दिन अपने दोस्त की कार से घर आने का फैसला किया था। निदा कहती हैं, ‘आज तक मैं उस दिन के लिए कभी-कभी खुद को दोष देती हूं। मैं अपने परिवार की बदनामी का कारण बनने पर खुद से खफा रहती हूं, लेकिन उस रात यह भी तय था कि बिना कार की सवारी किये मेरे लिए घर आना संभव नहीं था।’
तालिबान की कैद से आजाद हुए बामियान में तब अफगानिस्तान का प्रशासन पनप ही रहा था, ये प्रक्रिया आज तक जारी है। जब वहां की पुलिस और अधिकारियों को इस बात की जानकारी हुई कि एक लड़की लगभग आधी रात को एक पराये लड़के के साथ कार में सवार होकर घर आई है तो अफगानी सरदारों के कान खड़े हो गये।
बामियान के अधिकारियों ने शक की बिला पर एक ऐसा आदेश दिया जिसे सही मायने में तालिबानी कहा जा सकता है। अफगानिस्तान की पितृसत्तात्मक पुलिस और समाज को शक हुआ कि कार में सवार दो लड़कियों और दो लड़कों ने रात के अंधेरे में कुछ ऐसा गुनाह किया है, जिसे वे कबूल करने के हालात में नहीं थे। लिहाजा लड़कियों का वर्जिनिटी टेस्ट कराने का फैसला लिया गया। निदा को वर्जिनिटी टेस्ट के लिए मेडिकल सेंटर भेजा गया।
निदा अफगानी समाज की इस अग्नि परीक्षा में ‘सीता’ बनकर निकली। डॉक्टरों ने कहा कि निदा का कौमार्य अब भी सुरक्षित है। लेकिन निदा का केस अब भी अफगानिस्तान की न्यायिक प्रक्रिया में उलझा है। स्थानीय अदालत ने निदा को बरी कर दिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उसके केस की सुनवाई चल रही है।