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भांगड़ में बातचीत शुरू हो, लोकतंत्र बहाल हो : प्रदर्शनकारी

कोलकाता, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल के भांगड़ में ऊर्जा संयंत्र विरोधी आंदोलन के नेताओं ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वे इलाके में लोकतंत्र बहाल करने के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू करें। उन्होंने ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगया है कि सरकार उनके आंदोलन को दबाने के लिए बमों, गोलियों का इस्तेमाल कर रही है, और आतंकी और झूठे मामलों का सहारा ले रही है। आंदोलनकारियों ने कहा कि सरकार को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए और स्थिति को सुलझाने का रास्ता निकालना चाहिए।

गुरुवार को जमी, जीबिका, पोरिबेश ओ बस्तुतंत्रा राखा समिति की एक रैली के दौरान हुई झड़प के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए संगठन की नेता शर्मिष्ठा चौधरी ने कहा कि कोलकाता में प्रस्तावित रैली को बाधित करने के लिए हमला आयोजित किया गया था। यह संगठन नक्सली संगठन सीपीआई (एमएल) रेड स्टार द्वारा समर्थित ग्रामीणों का एक मंच है।

चौधरी ने कहा, प्रदर्शनकारियों की हत्या और उन्हें चोट पहुंचाने के मकसद से रैली पर हमला किया गया था, ताकि आंदोलन को बाधित किया जा सके और इलाके में अशांति फैलाई जा सके।

चौधरी ने शुक्रवार को कहा था, अगर राज्य सरकार को लगता है कि वह इस जमीनी आंदोलन को बमों, गोलियों, आतंक और झूठे मामलों से दबा सकती है तो, उन्हें कुछ दूसरा सोचना चाहिए।

उन्होंने कहा, अगर वे भांगड़ के सुलगते मुद्दे पर शांति चाहते हैं तो राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। अन्यथा उन्हें आंदोलन पर हमला करने से बचना चाहिए। लोकतंत्र को बहाल करना चाहिए। जनता बताएगी कि वह क्या चाहती है और भांगड़ में वह किसे चाहती है।

चौधरी ने कहा कि गुरुवार को रैली पर हमला करने वाले तृणमूल समर्थित बदमाशों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं, दूसरी ओर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने दावा किया है कि इस हमले के पीछे उनकी पार्टी का कोई सदस्य शामिल नहीं है। उन्होंने कहा, हमला करने वालों के खिलाफ भी कोई पुलिस कार्रवाई नहीं की गई है।

भांगड़ में ऊर्जा संयंत्र के उपकेंद्र के निर्माण के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप में जनवरी में गिरफ्तार चौधरी ने राज्य सरकार पर नियमों का पालन नहीं करने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, पारेषण लाइनों के दोनों किनारों के 23 मीटर के भीतर कोई निर्माण नहीं होना चाहिए था, जिसका पालन नहीं किया गया। हमने केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को नियमों के उल्लंघन के बारे में प्रतिवेदन दिया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे इस मुद्दे को उठाएंगे।

उन्होंने कहा कि समिति भांगड़ में इस आंदोलन को पिछले एक साल से चला रही है और वह आगामी पंचायत चुनाव में इस मुद्दे के साथ मैदान में उतरेगी। हालांकि उनके उम्मीदवारों को किसी राजनीतिक दल का समर्थन मिलेगा या वह खुद ही उन्हें नामांकित करेंगी, इसपर अभी फैसला किया जाना बाकी है।

उन्होंने दावा किया कि वे बंगाल और बाकी देश में अन्य भूमि आंदोलनों के संपर्क में हैं। चौधरी ने एक बड़े आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि अंत में आम जनता की ही जीत होगी।

उन्होंने कहा, बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भूमि आंदोलन हो रहे हैं। हम इन आंदोलनों को एक साथ लाने चाहते हैं। असम और महाराष्ट्र में ऊर्जा संयंत्र विरोधी आंदोलन पहले से भांगड़ में ऊर्जा संयंत्र विरोधी आंदोलन के नेताओं के संपर्क में हैं।

दरअसल गुरुवार को भांगड़ में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों के एक समूह में हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे और कई गाड़ियों को आग लगा दी गई थी।

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