माजुली द्वीप अब और नहीं सिकुड़ेगा : गडकरी
माजुली (असम), 29 दिसम्बर (आईएएनएस)| केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने असम के माजुली द्वीप के बाढ़ और क्षरण से बचाव के लिए शुक्रवार को सुरक्षा कार्यो की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि माजुली द्वीप को बाढ़ और क्षरण से बचाव के लिए प्रारंभ की गई विभिन्न योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के पश्चात इस द्वीप का सिकुड़ना रुक जाएगा। जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण, सड़क, परिवहन तथा राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि संभव है कि जो जमीन पानी के अंदर जा चुकी है, वह भी प्राप्त हो जाए। इसे उचित भूमि प्रबंधन प्रणाली के तहत माजुली की मुख्य भूमि से जोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि योजना के अनुरूप कार्य प्रारंभ हो जाएंगे और दो कार्य-मौसमों में खत्म हो जाएगा।
जल संसाधन मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर ब्रह्मपुत्र बोर्ड ने बाढ़ और क्षरण से द्वीप को बचाने के लिए जनवरी, 2004 से विभिन्न चरणों में सुरक्षा कार्य प्रारंभ किए। इन कार्यो में नदी किनारों पर तटबंध का निर्माण और सुदृढ़ीकरण, आरसीसी स्क्रीन को बिछाना, अवरोधों का निर्माण शामिल हैं।
गडकरी ने कहा कि 2007 के मानसून में आई अप्रत्याशित बाढ़ की वजह से निचले माजुली में भूमि का अत्यधिक क्षरण हुआ है। ब्रह्मपुत्र बोर्ड द्वारा किए गए निर्माण कार्यो का परिणाम 2007 तक संतोषजनक था और प्रभावित क्षेत्रों में क्षरण को रोका जा सकता था।
मंत्री ने कहा, 2014 के पश्चात ब्रह्मपुत्र बोर्ड ने विभिन्न कार्य किए। पत्थरों से बनने वाले चार अवरोधों का निर्माण पूरा किया। सलमारा में भी अवरोध निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है। तटबंधों तथा आरसीसी अवरोधों का निर्माण कार्य भी पूरा हो गया है। पांच ऊंचे प्लेटफार्मो का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और इसे जिला प्रशासन को सौंप दिया गया है।
माजुली द्वीप दक्षिण में विशाल ब्रह्मपुत्र नदी से तथा उत्तर में खेरकाटिया सूटी, लुइत सूटी और सुबनश्री नदियों से घिरा हुआ है और प्रत्येक वर्ष द्वीप पर बाढ़ आने तथा क्षरण होने का खतरा बना रहता है। 1914 में माजुली द्वीप का क्षेत्रफल 733.79 वर्ग किलोमीटर था, जो 2004 में 502.21 वर्ग किलोमीटर रह गया। 60 के दशक में असम सरकार ने तटबंधों का निर्माण किया, परंतु ये तटबंध द्वीप को आंशिक रूप से ही सुरक्षा दे पाए। प्रति वर्ष होने वाले क्षरण के कारण द्वीप का क्षेत्रफल कम होता गया। माजुली द्वीप को बाढ़ तथा क्षरण से बचाव का कार्य 2003 में ब्रह्मपुत्र बोर्ड को सौंपा गया।