धान के बीमा भुगतान में समस्या का समाधान होगा : राधामोहन
रायपुर, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में धान के बीमा भुगतान में आ रही समस्याओं का शीघ्र निराकरण कर लिया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बीच बुधवार को नई दिल्ली के कृषिभवन में उच्चस्तरीय बैठक हुई। बैठक में केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश के कृषि मंत्री को इस संबंध में भरोसा दिलाया है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे बीमा कंपनी के साथ बैठक कर तत्काल इस समस्या का निराकरण करें। इस दौरान बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में 24 से 28 जनवरी तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेले का आमंत्रण केंद्रीय कृषि मंत्री व राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को दिया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।
बृजमोहन अग्रवाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री को राज्य के विभिन्न लंबित विषयों पर उनका ध्यान आकृष्ट कराया। राज्य के तीन जिलों बालोद, सुकमा, कोंडागांव में नवीन कृषि विज्ञान केंद्रों की स्वीकृति के संबंध में केंद्रीय कृषि मंत्री ने आश्वस्त किया कि जैसे ही इन जिलों में भूमि आवंटन के पत्र प्राप्त होते हैं, तत्काल ही नवीन कृषि विज्ञान केंद्रों की स्वीकृति केंद्र से दे दी जाएगी।
मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए नीली क्रांति योजना में छत्तीसगढ़ को केंद्र से मिलने वाली आवश्यक राशि के शीघ्र भुगतान का भी आग्रह कृषि मंत्री ने केंद्रीय कृषि मंत्री से किया।
बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य में कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान की स्थापना किए जाने के अलावा राष्ट्रीय कृषि बीमा के तहत खरीफ 2015 में छूटे हुए पात्र कृषकों को भुगतान की गई बीमा की राशि में केद्रांश की राशि राज्य को शीघ्र जारी किए जाने का भी आग्रह बैठक में केद्रीय मंत्री से किया।
अग्रवाल ने बताया कि एकीकृत बागवानी मिशन छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में से 19 जिलों में लागू हैं। उन्होंने केंद्र से मांग की कि राज्य के शेष आठ जिलों, जांजगीर-चांपा, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा, में भी इस योजना को लागू किया जाए।
बृजमोहन अग्रवाल ने केंद्रीय कृषिमंत्री को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य मिशन योजना में राज्य में होने वाले गन्ने की फसल को वाणिज्य फसल के रूप में शामिल नहीं किया गया है।
उन्होंने आग्रह किया कि केंद्र प्रवर्तित खाद्य मिशन योजना में जिस प्रकार चावल, दलहन और लघु धान्य की फसलों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, उसी प्रकार गन्ने की फसल को भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाए।