अगर नहीं हो रही आपकी शादी तो न हो परेशान, यहां मिलती है पत्नी
नई दिल्ली। अक्सर लोग कहते हैं कि जिस घर में महिलाओं की इज्ज़त होती है वहां पर कभी किसी तरह की हानि या विनाश नहीं होता, लेकिन हमारे यहां ही आये दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं जो हमारी कहावत को झूठी ठहरा देती हैं। यह वही भारतभूमि है जहां पर कभी नारियों की पूजा होती थी, लेकिन अब उसी नारी को बेचा और खरीदा जाता है।
आपने कभी हिंदी फिल्मों में देखा होगा कि अपनी माँ को किसी बीमारी से बचाने के लिए हीरो किसी लड़की को कुछ दिन के लिए ये नाटक करने को कहता है कि वो उसकी पत्नी बनकर रहे और उसकी माँ की सेवा करे, इसके लिए वो उसे पैसे दे देगा। धीरे धीरे दोनों में प्यार हो जाता है और अंत में दोनों ही शादी कर लेते हैं। अब यही सब रियल में हो रहा है। इसी भारतभूमि पर। ये फ़िल्मी कहानी की हकीकत बयां करती है मध्य प्रदेश में।
मध्य प्रदेश कहने के लिए एक बड़ा राज्य है, लेकिन यहाँ शिवपुरी नाम की एक जगह भी स्थित है। ये जगह धड़ीचा प्रथा के लिए काफी मशहूर है। जी हां यहाँ हर साल एक मंडी लगाई जाती है, जहाँ लड़कियों को एक तरफ खड़ा करके प्रथा के नाम पर उनका सौदा किया जाता है। महिलाओं की इस मंडी में पुरुष आते हैं और अपनी पसंद की लड़की को कीमत देकर ले जाते हैं। इसके इलावा आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस मंडी की कीमत पंद्रह हजार से शुरू होकर पच्चीस हजार तक पहुंच जाती है। इससे भी ज्यादा हैरानी वाली बात तो ये है की इसे प्रथा कहते हैं। ये कोई और नहीं बल्कि लड़की के घर वाले ही करते हैं।
आपको बेहद अफ़सोस होगा कि इस प्रथा के अनुसार लड़की के घरवाले ही केवल एक साल के लिए किसी भी अनजान शख्स से उसकी शादी करवा देते हैं। इसके साथ ही अगर वो शख्स चाहे तो ज्यादा पैसे देकर उस लड़की को ज्यादा समय के लिए अपनी बीवी बना कर भी रख सकता है। इसका मतलब ये हुआ कि उस लड़की के साथ वो गैर मर्द जब तक चाहे रह सकता है और पैसे देता रहे।
इस तरह किराए पर पत्नी मिल जाती है। अब दुःख की बात तो ये है कि अनमोल लड़कियों का भाव यहाँ महज 10 रूपए से लेकर 100 रूपए तक के स्टाम्प पेपर पर बेचीं जाती हैं। बता दें कि ये भारत के लिए बहुत ही दुख का विषय है। क्या इस तरह की खबरों और हकीकत से कभी भारत आगे बढ़ पाएगा? जहाँ पर महिलाओं की ऐसी दशा हो उससे क्या उम्मीद लगाई जा सकती है। अगर ऐसी ही कुप्रथाएं फैली रहीं समाज में तो कैसे देश तरक्की कर पायेगा? ये तो सोचने वाली बात है?