‘भारत के शिक्षा लक्ष्य को पाने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों को सहयोग करने दें’
नई दिल्ली, 25 दिसम्बर (आईएएनएस)| ऑस्ट्रेलिया के एक शीर्ष विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि भारत की 2020 तक चार करोड़ विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्रदान कराने की महत्वकांक्षी योजना का लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है जब देश में विदेशी विश्वविद्यालयों को अपने कैंपस खोलने की इजाजत दी जाए या फिर यहां के विश्वविद्यालयों में उनकी साझेदारी को बढ़ाया जाए।
सिडनी स्थित न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (यूएनएसडब्ल्यू) के प्रमुख व सर्जन से शिक्षाविद बने इयान जैकब्स की निगाह इस पर है कि उनकी संस्था भारत के शैक्षिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवसरों की भारी मांग को कैसे पूरा कर सकती है और कैसे इसका लाभ उठा सकती है। भारत का शिक्षा क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा क्षेत्रों में से एक है।
जैकब्स ने भारत की अपनी यात्रा के दौरान आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा, भारत में उच्च शिक्षा का ढांचा और इससे जुड़े नियम इसे खासा चुनौतीपूर्ण बना देते हैं। हम यह देख रहे हैं कि ऐसा करने के लिए किन नवाचारों की खोज करनी होगी।
उन्होंने कहा, इस वक्त, एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के लिए भारत में अपना परिसर खोलना संभव नहीं है। लेकिन, हमारे लिए ऐसा संभव हो सकता है कि हम किसी भारतीय विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी करें जिसके जरिए हम गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के क्षेत्र के अपने व्यापक अनुभव को भारत में ला सकें। हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, ऐसा करने के लिए यहां काफी जटिल माहौल है।
भारत ने 2020 तक उच्च शिक्षा में 30 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। जीईआर 18-23 आयु वर्ग की आबादी के बीच उच्च शिक्षा में कुल नामांकन है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, भारत का जीईआर 2015-16 में 24.5 फीसदी था, जो 2004-2005 के 10 फीसदी के मुकाबले ज्यादा उछाल बताता है। लेकिन, अभी भी यह दर चीन के 26 फीसदी और ब्राजील के 36 फीसदी से नीचे है।
जैकब्स ने कहा, 2020 के लक्ष्य को पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा में ज्यादा से ज्यादा युवा महिलाओं और पुरुषों की पहुंच को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनका विश्वविद्यालय नई नौकरियों के अवसरों को पैदा करने और उसमें सहयोग देने के लिए तैयार है। साथ ही उनका विश्वविद्यालय युवा लोगों को उनकी जिंदगी में अवसरों पर ध्यान केंद्रित करने में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा, हम बड़े पैमाने पर गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। और, यह एक ऐसी चीज है जिसकी भारत को सख्त जरूरत है।
जैकब्स ने कहा कि भारत को विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग की जरूरत है क्योंकि देश में उच्च गुणवत्ता के शिक्षा संस्थानों के संचालन का दायरा सरकार के लक्ष्य और देश की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
उन्होंने कहा, हां, भारत को उच्च गुणवत्ता (शिक्षा) की जरूरत है, लेकिन उन्हें इसके विस्तार की भी जरूरत है और इस विस्तार में यूएनएसडब्ल्यू सहयोग कर सकता है। हम इसे भारत के विद्यार्थियों को यूएनएसडब्ल्यू बुलाकर कर सकते हैं।
उन्होंने बताया, लेकिन, जो सबसे प्रेरक बात हो सकती है वह भारत में भारतीयों को उच्च शिक्षा प्रदान करना होगी। हम यहां के विश्वविद्यालयों के साथ साझेदार बनने की ओर देख रहे हैं। हम यह देख रहे हैं कि यह कैसे संभव हो सकता है। हम इसके शुरुआती दौर में हैं।
यूएनएसडब्ल्यू के प्रो वाइसचांसलर लॉरी पियर्सी ने कहा कि भारत सरकार की 10 सार्वजनिक और 10 निजी संस्थानों को अभूतपूर्व प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता देने की नीति और देश की प्रतिष्ठित संस्थाएं विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ भागीदारी की संभावनाओं को बढ़ावा देने वाली साबित हो सकतीं हैं।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विदेशी शिक्षा संस्थान विधेयक (प्रवेश व संचालन का नियमन) शिक्षा क्षेत्र में विदेशी दिग्गजों को आने की इजाजत देता है जो देश के हित में चीजें बेहतर बना सकता है।
उन्हें यह भी लगता है कि भारत के शिक्षा क्षेत्र में कड़े नियमन विश्व स्तरीय संस्थानों के साथ सहयोग के रास्ते में बाधा बन रहे हैं।
उन्होंने कहा, नियमन एक अच्छी चीज है लेकिन आखिर में सरकार की रुचि गुणवत्ता में ही है और यह सहयोग के बल पर आती है।
पूर्व भारतीय राजनयिक और यूएनएसडब्ल्यू के भारत में कंट्री हेड अमित दासगुप्ता ने कहा कि 2020 तक 30 फीसदी जीईआर प्राप्त करने के लिए 10 जमा 10 पहल के अलावा भारत को 400 नए विश्वविद्यालय और 40 हजार कॉलेज की जरूरत है।
उन्होंने कहा, अगर आपको उन्नत करने की जरूरत है, अगर आपको अच्छे शिक्षक की जरूरत है, तो पहले पूछना होगा कि उच्च शिक्षा का उद्देश्य क्या है।
उन्होंने कहा, और, यह उद्देश्य सहयोग के तरीकों को निर्धारित करेगा। अगर उद्देश्य केवल रोजगार बढ़ाना है तो यह एक प्रस्ताव हो सकता है। अगर उद्देशय नवाचार और खोज है यह तो यह एक दूसरा प्रस्ताव हो सकता है। लेकिन, मुझे लगता है कि यह सब कहीं न कहीं जाकर मिलेंगे और मुझे लगता है कि इस तरह की अपग्रेडिंग विश्वस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग के जरिए हो सकती है।