पंजाब : जोर मेले के दौैरान कांग्रेस, अकाली दल नहीं करेंगे सम्मेलन
चंडीगढ़, 22 दिसंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने सिखों के पवित्र शहर फतेहगढ़ साहिब में आयोजित होने वाले शहीदी जोर मेले के दौरान राजनीतिक सम्मेलन नहीं करने का फैसला किया है।
फतेहगढ़ साहिब चंडीगढ़ से 50 किलोमीटर दूर है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और अकाली दल के प्रवक्ताओं ने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक सम्मेलन को नहीं करने का फैसला इस सालाना धार्मिक सभा में आने वाले लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए लिया गया है।
मेला 25 से 27 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए और इस अवसर की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए, पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति ने फतेहगढ़ साहिब में शहीदी जोर मेला के दौरान किसी भी राजनीतिक सम्मेलन न करने का फैसला लिया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को पंजाब के कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ इस मामले पर चर्चा की थी।
मेले को 10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के युवा पुत्र बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह और मां माता गुजारी की मुगल शासकों के इशारे पर हत्या कर दी गई थी।
अमरिंदर ने एक बयान में कहा, इस अवसर को अत्यंत सम्मान के साथ मनाया जाना चाहिए। यह एक पवित्र अवसर है, जिसका उपयोग निहित स्वार्थो के माध्यम से राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए एक मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। पंजाब के लोगों ने महसूस किया कि यह मेला राजनीतिक दलों के लिए अपनी रोटियां सेकना का एक मंच बनता जा रहा है।
अमरिंदर और जाखड़ ने लोगों से, खासकर राजनीतिक नेताओं से अपील की है कि वे राजनीतिक सम्मेलनों को छोड़ गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब जाकर महान शहीदों को विनम्र भक्तों के रूप में श्रद्धांजलि अर्पित करें।
जाखड़ ने कहा, हम सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हैं कि वे इस पवित्र अवसर पर राजनीतिक सम्मलेन से दूर रहें।
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी यह घोषणा की है कि पार्टी ने 26 दिसंबर को मेले के दौरान होने वाले अपने वार्षिक सम्मेलन को रद्द कर दिया है।
बादल ने कहा कि अकाल तख्त द्वारा जारी एक सलाह के बाद यह कदम उठाया गया है। अकाल तख्त सिख धर्म की सर्वोच्च सांसारिक सीट है।
उन्होंने कहा कि अतीत में कई सालों से अकाली दल द्वारा राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था।
बादल ने एक बयान में कहा, राजनीतिक दलों ने पिछले कुछ सालों से इस अवसर के महत्व को बर्बाद कर दिया है और इसे एक राजनीतिक युद्धक्षेत्र बना दिया है। यह उन सिख भक्तों की भावनाओं को बहुत आहत करता है, जो छोटे साहिबजादे के महान त्याग को अपना सम्मान देने आते हैं।