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2जी षड्यंत्र में राजा के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं : न्यायालय

नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (आईएएनएस)| 2जी मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा को क्लीन चिट देते हुए यहां की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को कहा कि ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं जिससे यह साबित हो कि वह इस षड््यंत्र में शामिल था। न्यायालय ने तथाकथित 2जी घोटाले को कुछ तथ्यों को कलात्मक रूप से जोड़ने और खगोलीय स्तर तक मान्यता से परे अतिशयोक्ति बताया। विशेष न्यायधीश ओ.पी. सैनी ने अपने 1,552 पन्नों के फैसले में कहा, यह दूरसंचार विभाग द्वारा ‘विभिन्न कार्यो और बिना कार्यो’ के पैदा की गई भ्रम की स्थिति है जिसने एक बड़े घोटाले का रूप धारण कर किया जबकि ऐसा हुआ ही नहीं था।

सैनी ने कहा, इस मामले का मूल राजा के कार्यो पर निर्भर नहीं करता है। रिकार्ड के तौर पर ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह साबित हो कि राजा इस षड्यंत्र(मदर लोड ऑफ कांसपाइरेसी) में शामिल था। उसके खिलाफ किसी भी गलत कार्य, षड्यंत्र और भ्रष्टाचार का सबूत नहीं है।

सीबीआई ने राजा को इस मामले का मुख्य अभियुक्त बनाया था और 200 करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप में राजा को 15 माह की जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी।

विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने गुरुवार को कहा कि सात वर्ष तक सबूत का इंतजार करना ‘बेकार’ हो गया क्योंकि यह मामला मुख्यत: ‘अफवाह, चर्चा और अटकलों’ पर आधारित था। सैनी वर्ष 2011 की शुरुआत से 2जी मामले के सभी मुकदमों का निरीक्षण कर रहे हैं।

सैनी ने कहा, अंतिम सात वर्षो में, गर्मी की छुट्टी समेत सभी कार्यदिवसों पर, मैं सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक, इस मामले में किसी के द्वारा कुछ कानूनी तौर पर मान्य सबूत के साथ आने का इंतजार करता रहा, लेकिन सब बेकार हो गया।

उन्होंने कहा, एक भी आदमी यहां नहीं आया। यह दिखाता है कि इस मामले में सभी ने अफवाह, चर्चा और अटकलों के आधार पर धारणा बना लिया था। हालांकि न्यायिक कार्यवाही में जनधारणा का कोई स्थान नहीं है।

न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया और मामले के संबंध में सभी सुनवाई में अदालत रूम खचाखच भरे रहे।

उन्होंने कहा, कई लोग अदालत के समक्ष उपस्थित हुए और बताया कि मामले में सही तथ्य पेश नहीं किए गए। जब इन लोगों से यह पूछा जाता था कि क्या आपके पास इस तथ्य को साबित करने का प्रमाण है, वे इसका जवाब नहीं दे पाते थे।

उन्होंने हालांकि कहा कि लगभग 10 से ज्यादा लोगों ने इस संबंध में अन्य जांच और सीबीआई की जांच से बचे अतिरिक्त अभियुक्तों को समन जारी करने का लिखित आवेदन दिया।

न्यायाधीश ने कहा, इन पत्रों में से किसी भी पत्र का कानूनी आधार नहीं था। सभी आवेदन में अदालत के पास पहले से मौजूद तथ्यों के बारे में या पूरी तरह से अनुचित तथ्यों के बारे में बताया गया था।

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