राष्ट्रीय

2जी पर फैसले से मोदी, विनोद राय व भाजपा की साजिश उजागर : कांग्रेस

नई दिल्ली 21 दिसंबर (आईएएनएस)| कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि 2जी घोटाला मामले पर अदालत के फैसले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अरुण जेटली, विनोद राय और कुछ अन्य भाजपा नेताओं द्वारा रची गई साजिश उजागर हो गई है। कांग्रेस ने भाजपा नेताओं पर सत्ता में आने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार को बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।

पार्टी ने अदालत के फैसले पर कहा, सच सामने आ चुका है, प्रधानमंत्री मोदी, पूर्व सीएजी विनोद राय और अरुण जेटली समेत अन्य भाजपा नेताओं को सप्रंग सरकार को बदनाम करने के लिए माफी मांगनी और सफाई पेश करनी चाहिए।

कांग्रेस ने कहा, भाजपा आज बेनकाब हो चुकी है। उन्होंने 2जी घोटाले की झूठी कहानी रचकर देश का अपमान करने का प्रयास किया और सत्ता में आने के लिए उन्होंने झूठे आरोपों का सहारा लिया।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, झूठ का खुलासा हो चुका है और कांग्रेस को बदनाम करने की भाजपा की साजिश सबके सामने आ चुकी है। यह सच्चाई की जीत है।

उन्होंने कहा, जो साजिश प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी के नेता अरुण जेटली, तत्कालीन सीएजी विनोद राय और अन्य भाजपा नेताओं ने रची थी, आज वह सबके सामने आ चुकी है। अदालत ने बता दिया है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कोई भी दोषी नहीं है।

सुरजेवाला ने कहा, वे लोग, जिन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए झूठ पर झूठ बोलते रहे, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने कहा, क्या यह सच नहीं है कि झूठ फैलाना और साजिश रचना भाजपा के डीएनए में है और यही चरित्र है।

सुरजेवाला ने कहा, क्या उन्हें इस झूठ के लिए जिम्मेदारी और सफाई पेश नहीं करनी चाहिए? क्या पीएम मोदी, एफएम जेटली और भाजपा को राष्ट्र से माफी नहीं मांगनी चाहिए?

उन्होंने कहा, भाजपा को सप्रंग सरकार के खिलाफ साजिश रचने और भारत को बदनाम करने पर देश को जवाब देना चाहिए।

विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने 2जी मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। यह मुकदमा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्र्वतन निदेशालय ने दायर किया था।

दूरसंचार मंत्रालय द्वारा मोबाइल कंपनियों को लाइसेंस जारी किए जाने और 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में यह कथित घोटाला वर्ष 2008 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में हुआ था। लेकिन वर्ष 2010 में इस मामले ने भारत के नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (सीएजी) विनोद राय की रिपोर्ट आने के बाद तूल पकड़ा।

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