भारतीय परंपरा से खेती खुशहाली का रास्ता : योगी
लखनऊ, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को डॉ.भीम राव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित शून्य लागत प्राकृतिक कृषि शिविर का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि खेती के लिए विशुद्ध भारतीय परंपरा अपनाई जानी चाहिए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पर मुख्यमंत्री योगी ने कहा, प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। किसानों को इससे लाभ मिलेगा। उप्र में शून्य लागत से प्राकृतिक कृषि की जा सकती है। प्रदेश की 22 करोड़ की आबादी में से ज्यादातर संख्या कृषि पर आधारित है। कृषि से सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, हम किसान की आय को दोगुना करना चाहते हैं। यह तभी संभव है कि भारत की परंपरागत खेती को अपनाया जाए। रसायनों से दूर रहा जाए। रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम खेती है। गाय को ऐसे ही हमारे ऋषियों ने गौ माता नहीं माना है। गौ माता का एक-एक अवयव हमारे लिए उपयोगी है। देशी गाय का गोबर हजारों गुना रसायनों से बेहतर है।
उन्होंने कहा, विशुद्ध भारतीय परंपरा के अनुसार खेती करेंगे तो खुशहाल हो सकते हैं। देशी गायों का पालन और उनके गोबर के इस्तेमाल से बेहतर खेती की जा सकती है। गौवंश को खेती से जोड़ा जाए। हम गो माता की तस्करी और कटान नहीं होने देंगे। यह हमारी श्रद्धा का मामला है।
योगी ने कहा, हम चाहते हैं प्रदेश में बड़ी-बड़ी गौशालाएं खोली जाएं। स्थानीय स्तर पर समितियां बनाई जाएं। इसके लिए हर परिवार को एक गाय के रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाए, जिससे उस इंसान के जन्म और जीवन दोनों तर जाएंगे।
उन्होंने कहा, धरती माता के स्वास्थ्य के बारे में हमने नहीं सोचा। इसके लिए जो प्रयास हो सकता था, वह नहीं हुआ। सॉइल टेस्टिंग की व्यवस्था नहीं हो रही है।
मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई कि सॉइल टेस्टिंग का बजट होने के बावजूद कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विश्वविद्यालय कुछ नहीं कर रहे हैं। इनको हजारों करोड़ रुपये का बजट मिल रहा, उसके बावजूद कुछ नहीं कर रहे हैं। अगर किया होता तो आज युवा बेरोजगार नहीं होता।
उन्होंने कहा कि ड्रिप एरिगेशन से खेती करने पर 90 फीसदी पानी बचाया जा सकता है।