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दलित महिला को दिनदहाड़े पीटा और फि‍र उतरवाए कपड़े

 

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में बुधवार को दलित महिला की पिटाई और उससे बदसलूकी का मामला उजागर हुआ है। इस घटना में पीड़ित महिला को पहले तो सरेराह बेरहमी से पीटा गया। फिर वहीं उसके कपड़े भी उतरवा लिए गए। यह सब भूमि विवाद के कारण ही उस महिला के साथ ऐसा सुलूक किया गया।

महिला की सार्वजनिक रूप से पिटाई की गई और फिर उसके कपड़े उतरवाने का आरोप तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेताओं पर भी लगाया गया है।

यह घटना पेंदुर्थी ब्लॉक स्थित जेरिपोथुलापालम गांव में मंगलवार शाम की है, लेकिन बुधवार को स्थानीय दलित संगठनों और लेफ्ट नेताओं के मामले में शिकायत दर्ज कराने के बाद इसके बारे में लोगों को पता लगा। यही नहीं, संगठन और नेताओं ने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करने पर विरोध प्रदर्शन भी किया।

पुलिस ने इस बाबत कुल 6 लोगों को हिरासत में ले लिया है। जबकि, पीड़ित महिला को शहर के किंग जॉर्ज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है।

सभी आरोपित तेलगु देशम पार्टी से जुड़े बताए जा रहे हैं। इनमें दो महिलाएं भी हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, गांव में सर्वे संख्या 77 के तहत खेती किसानी वाले जमीन पर 14 दलित परिवार रह रहे थे।

वे इसी पर खेती करते हैं। सरकार ने उन्हें करीब एक दशक पहले यह भूमि दी थी। उसी से सटी जमीन बाद में आंध्र प्रदेश बेवरेजेस कॉरपोरेशन को बॉटलिंग कंपनी स्थापित करने को दी गई है।

सीपीआई में ग्रेटर विशाखापत्‍तनम के सचिव एम.पायदिराजू ने कहा, “गांव विशाखापत्तनम शहर के किनारे है, लिहाजा इसके दाम भी बढ़ गए हैं। ऐसे में कुछ लोग इसे नकली दस्तावेजों के जरिए हथियाना चाह रहे हैं।

इन्‍हें सत्तारूढ़ दल का समर्थन भी मिल रहा है। दलितों ने इसका विरोध किया और वे हाईकोर्ट चले गए। वहां से वे अपने पक्ष में आदेश लेकर आए हैं।”

घटना के अगले दिन भूमि हथियाने वाले उन्हीं लोगों से दलित लोगों की झड़प हो गई। स्थानीय राजनेताओं ने इस दौरान एक दलित महिला की पिटाई कर दी, जो उस वक्त उनका विरोध कर रही थी। सरेराह उन्होंने उसे पीटा। फिर उसके कपड़े भी उतरवा दिए। यही नहीं, उन्होंने बाकी दलितों से गाली गलौज की और उन्‍हें खदेड़ दिया था।

पीड़िता ने इसके बाद पेंदुर्थी थाने में आरोपितों के खिलाफ शिकायत दी थी। इनमें छह टीडीपी नेताओं के नाम थे। सीपीआई नेता ने आगे बताया, “पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला तो दर्ज नहीं किया था, लेकिन दलितों के आंदोलन करने की धमकी पर उन्होंने दोपहर को आरोपितों को हिरासत में लिया। फिर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।”

 

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