‘अपोलो जयललिता के वीडियो क्लिप पर स्पष्टीकरण दे’
चेन्नई, 20 दिसंबर (आईएएनएस)| अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के पूर्व सांसद के. सी. पलानीस्वामी ने अपोलो अस्पताल से पूर्व मुख्यमंत्री जे.जयललिता के वीडियो पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। इस वीडियो में जयललिता अपोलो अस्पताल के एक कमरे में नजर आ रही हैं।
उन्होंने अस्पताल से स्पष्टीकरण मांगा है कि वह बताएं कि क्या यह वीडियो वास्तविक है या नहीं।
पलानीस्वामी ने जयललिता के इस वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, यह अपोलो अस्पताल को स्पष्ट करना है कि क्या इस तरह का कोई कमरा है भी नहीं और इस वीडियो क्लिप में कितनी सच्चाई है।
जयललिता के निधन के लगभग एक वर्ष बाद पार्टी से किनारे किए गए टी.टी.वी. दिनाकरन गुट के पी.वेट्रिवेल ने बुधवार को यह वीडियो जारी किया।
वेट्रिवेल ने पत्रकारों का बताया, इस वीडियो को वी.के.शशिकला ने जयललिता के आईसीयू से अस्पताल के जनरल वार्ड में शिफ्ट करने के बाद बनाया था।
शशिकला फिलहाल, भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद हैं।
इस वीडियो क्लिप को राधाकृष्णन नगर विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव से ठीक एक दिन पहले जारी किया गया है। इस निर्वाचन क्षेत्र से दिनाकरन निर्दलीय उम्मीदवार हैं। यह सीट जयललिता के निधन के बाद खाली हुई थी।
इस बयान में अपोलो अस्पताल समूह के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष प्रताप सी. रेड्डी का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि डॉक्टरों को जयललिता की गंभीर हालत के बारे में नहीं बताने को कहा गया था।
बयान में पलानीस्वामी ने मांग की है कि डॉक्टरों को ऐसा करने के निर्देश किसने दिए।?
जयललिता को 11 सितंबर, 2016 को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था और यहां पांच दिसंबर को उनका निधन हो गया था। अस्पताल ने कहा था कि उन्हें बुखार व शरीर में कम पानी (डिहाइड्रेशन) की समस्या के बाद भर्ती कराया गया था।
रेड्डी ने कहा था कि डॉक्टरों को जयललिता के गंभीर स्वास्थ्य के बारे में जानकारी नहीं देने के लिए कहा गया था क्योंकि इससे लोगों की भावनाओं पर काबू पाना मुश्किल हो जाता। हालांकि, रेड्डी ने यह नहीं बताया कि उन्हें यह सलाह किसने दी थी।
जयललीता की दोस्त के.सी गीता ने एक टेलीविजन चैनल को बताया कि वीडियो देखकर लगता है कि यह वीडियो फर्जी है।
इससे पहले, दिनाकरन ने कहा था कि वह अस्पताल में जयललिता का वीडियो क्लिप उचित समय पर जारी करेंगे।
इस वीडियो क्लिप पर टिप्पणी करने के लिए अपोलो अस्पताल के अधिकारी मौजूद नहीं थे।