आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के लिए धातु संग्रह यात्रा शुरू
उज्जैन, 19 दिसंबर (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा स्थापित करने के लिए गांव-गांव से धातु संग्रह किया जाएगा। इसके लिए मंगलवार से राज्य के विभिन्न हिस्सों से ‘एकात्म यात्रा’ की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में यात्रा शुरू करते हुए कहा कि आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित कर उनके योगदान को चिरस्मरणीय बनाया जाएगा। चौहान ने आगे कहा, ओंकारेश्वर में प्रतिमा तो स्थापित होगी ही, साथ ही यह वेदांत दर्शन के अद्भुत केंद्र के रूप में स्थापित होगा। समाज ठीक दिशा में चले, इसलिए संतों के नेतृत्व में आदि शंकराचार्य के अद्वैतवाद का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। आज सनातन धर्म बचा है तो वह शंकराचार्य की देन है। वे न होते तो भारत का यह स्वरूप ही न होता। उन्होंने उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम को जोड़कर सांस्कृतिक रूप से देश को एक किया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, शंकराचार्य सर्वज्ञ थे। ओंकारेश्वर में गुरु से ज्ञान प्राप्त कर वे भारत भ्रमण पर निकल गए और स्थान-स्थान पर शास्त्रार्थ कर अपनी विद्वता स्थापित की। वे सभी रूढ़ियों को खत्म करने वाले संन्यासी थे। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के दर्शन के माध्यम से सारी दुनिया को एक ही परिवार के रूप में मानना, प्राणियों को भी अपने समान दर्जा देना उनकी विशेषता थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अद्वैत वेदांत का प्रचार-प्रसार जन-जन में होना चाहिए। आज की पीढ़ी उनको भूलती जा रही है। एकात्म यात्रा से अद्वैत वेदांत का प्रचार-प्रसार तो होगा ही, माता, बहनों, बेटियों का सम्मान करने की शिक्षा भी दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चियों के साथ दुराचार करने वालों को मृत्युदंड देने का प्रावधान किया है। एकात्म यात्रा के माध्यम से पर्यावरण बचाने, भेदभाव मिटाने का संदेश भी दिया जाएगा।
एकात्म यात्रा की शुरुआत से पहले मुख्यमंत्री चौहान, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, स्वामी विश्वेरानंद, संत रामेश्वरदासजी, स्वामी अतुलेश्वरानंद सरस्वती एवं अन्य गणमान्य संतों ने आदि शंकराचार्य के चित्र के सामने दीप जलाया। इसके बाद पादुका पूजन किया और एकात्म यात्रा का ध्वज यात्रा के लिए सौंपा गया।
कार्यक्रम में सभी संतों की ओर से स्वामी परमात्मानंद और स्वामी विश्वेरानंद ने मुख्यमंत्री को रूद्राक्ष की माला पहनाकर आशीर्वाद दिया।