पंजाब नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस की भारी जीत
चंडीगढ़, 17 दिसम्बर (आईएएनएस)| पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस ने रविवार को नगर निकाय चुनाव में भारी जीत हासिल की, जबकि विपक्षी शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने बूथ कैप्चरिंग और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
कांग्रेस ने पटियाला नगर निगम में 58 वार्डो पर जीत हासिल की, जबकि विपक्ष यहां खाता भी नहीं खोल पाया।
जालंधर में कांग्रेस ने 66 वार्डो में जीत हासिल की, जबकि अकाली दल-भाजपा ने 12 सीटें जीती। अमृतसर में कांग्रेस ने 69 सीटों पर जीत दर्ज की और अकाली दल-भाजपा ने मिलकर 12 वार्डो पर जीत हासिल की।
अमृतसर, जालंधर और पटियाला नगर निगमों और 29 नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों के लिए मतदान रविवार को हुआ।
पटियाला शहर और कुछ अन्य स्थानों पर अकाली दल-भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मामूली झड़पें हुईं।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के गृहनगर पटियाला में पुलिस को दोनों पक्षों के कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।
अकाली दल ने सभी वार्डो में चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए चुनाव को तत्काल रद्द करने की मांग की।
अकाली दल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा की उच्चस्तरीय जांच कराने और कांग्रेस के एजेंट के रूप में काम करने वाले प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने की मांग की।
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) पर निकाय चुनाव में जनता की आवाज को हराने के लिए कांग्रेस की साजिश का हिस्सा बनने का आरोप लगाया।
उन्होंने परिणाम घोषित होने के बाद कहा, हम उच्च न्यायालय जाएंगे और एसईसी, सत्ताधारी कांग्रेस और पुलिस अधिकारियों की साजिश को बेनकाब करेंगे।
दूसरी तरफ अमरिंदर सिंह ने चुनाव परिणाम को कांग्रेस की नीतियों पर जनता की स्पष्ट मुहर और विपक्ष के कुप्रचार की करारी हार बताया। उन्होंने एक बयान में कहा, में पंजाब के लोगों को विपक्ष के दबाव के हथकंडे के आगे न झुकने के लिए बधाई देता हूं।
अकाली दल और भाजपा के नेताओं ने सत्ताधारी कांग्रेस पर धांधली करने के आरोप के साथ राज्य निर्वाचन आयोग के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय के सामने अपराह्न् में विरोध प्रदर्शन किया।
अकाली नेता और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने यहां मीडिया से कहा, हमने लोकतंत्र की ऐसी हत्या पहले कभी नहीं देखी, जैसी कि आज हुई है।
इस चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस, मुख्य विपक्ष आम आदमी पार्टी आप और शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के बीच था।
पंजाब के सबसे बड़े शहर लुधियान के नगर निगम के लिए चुनाव नहीं हो सका, क्योंकि यहां मतदाता सूची को अद्यतन नहीं किया जा सका था।