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यूपी का ये है अनोखा स्कूल, 2 बच्चों पर एक टीचर

शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश में आपने सरकारी स्‍कूलों कई बार शिक्षकों की कमी और क्‍लास रूम में अधिक बच्‍चों को बैठाए जाने का मामला कई बार प्रकाश में आया होगा लेकिन सिर्फ 8 बच्‍चों को पढ़ाने के लिए 4 टीचर ऐसा नहीं सुना होगा। आज हम ऐसे सरकारी स्कूल के बार में बताने जा रहे हैं जहां बच्चे सिर्फ आठ हैं लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए चार सरकारी अध्यापक सहित 6 कर्मचारी तैनात हैं।

बता दें कि आठ बच्चों पर यहां हर महीने दो लाख से ज्यादा सरकारी खर्च किया जा रहा है। सर्व शिक्षा मिशन पर ये एक बड़ा सवाल है कि जिला बेसिक शिक्षा विभाग को इस इलाके में पढ़ाने के लिए बच्चे ही नहीं मिल रहे। शायद पूरे सूबे में ये सिर्फ अकेला ऐसा स्कूल होगा जहां सिर्फ आठ बच्चों को शिक्षा दी जा रही है और उन पर बेसिक शिक्षा विभाग लाखों रुपया खर्च कर रहा है। जिस पर जिला बेसिक शिक्षा विभाग में कुछ अलग ही तर्क पेश कर रहा है।

बण्डा ब्लाक का अजोधापुर प्राथमिक विद्यालय जिले में ही नहीं बल्कि पूरे सूबे में शायद ये ऐसा अकेला सरकारी स्कूल होगा जहां मात्र आठ स्कूली बच्चों का दाखिला है। इन आठ बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां चार शिक्षक और दो रसोईयों की तैनाती भी है। यहां कक्षा एक में 2, कक्षा दो में 3, कक्षा तीन में एक भी छात्र नहीं, कक्षा चार में 1 और कक्षा पांच में 2 छात्र ही पंजीकृत हैं।

इन आठ बच्चों पर सरकार का लाखों रुपया खर्च किया जा रहा है। ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या विभाग को स्कूली बच्चे ही नही मिलें। यहां फिर बच्चों के माता पिता को जागरूक करने में विभाग फेल साबित हुआ है। वहीं अगर आंकड़ों पर एक नजर डातें तो गांव में लगभग 150 से ज्यादा बच्चे हैं जो स्कूल जाने के बजाए खेती और घरेलू कामों में अपने परिवार का हाथ बंटाते हैं।

सरकार की कोशिश रहती है हर बच्चा स्कूल जाये जिसके प्रचार प्रसार के लिए हर साल विभाग लाखों खर्च करता है। स्कूल में सिर्फ आठ बच्चे होने के सवाल पर जिला बेसिक शिक्षा विभाग का तर्क भी अनोखा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार कहना है कि शिक्षकों के तबादलों पर कोर्ट की रोक है वरना उन्हें हटा दिया जाता। इस स्कूल को देखकर यही लगता है कि यहां शिक्षा के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है और शिक्षा के नाम पर लाखों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है। अब देखने वाली बात तो यह है कि अगर इस ढंग से शिक्षा व्यवस्था रही तब तो हो गया देश का भला।

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