निर्भया कांड : 16 दिसम्बर की वो दहशत भरी रात, 5 साल बाद भी सहम जाता है दिल
नई दिल्ली। आज से ठीक पांच साल पहले दिल्ली में घटी हैवानियत की सबसे बड़ी वारदात ‘निर्भया कांड’ को आज भी लोग अपने दिलोंदिमाग से उतार नहीं पाए है और इसकी वजह है उस काली रात की दुर्दांता। जिसने आज तक निर्भया को हमारे जहन से मरने न दिया।
दरअसल, आज यानी की 16 दिसंबर को निर्भया को इस दुनिया से गए करीब 5 साल बीतने को हैं लेकिन कितनी शर्म की बात है कि आज इतने साल बाद भी देश के क्राइम रेट में कोई सुधार नहीं आया हालात सिर्फ बद से बत्तर हुए है। अन्यथा कुछ नहीं।
ये थी घटना-
उस रात एक चलती बस में पांच बालिग और एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की निर्भया के साथ जो हैवानियत की, उसे जानकर हर किसी का कलेजा भर आया।
निर्भया फिल्म देखने के बाद वह अपने पुरुष मित्र के साथ बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी। बस में उन दोनों के अलावा सिर्फ 6 लोग थे, जिन्होंने निर्भया के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. विरोध करने पर आरोपियों ने निर्भया के मित्र को इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया।
चलती बस में खूंखारो ने इंसानियत का था गला घोटा-
चलती बस में निर्भया का रेप करने वाले आरोपी किसी राक्षस से कम नही थे। उनकी हवस ने उन्हें इतना अँधा बना दिया था कि वे ये तक न समझ सके कि निर्भया कोई वस्तु नहीं बल्कि एक जान है, इंसान है। उसने उस रात देर तक उन वहशी दरिंदों का सामना किया लेकिन वो हार चुकी थी। उन सबने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया।
यही नहीं उनमें से एक ने जंग लगी लोहे की रॉड निर्भया के प्राइवेट पार्ट में डाल दिया। इस हैवानियत की वजह से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं। खून से लथपथ लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही थी। बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था।
चार आरोपियों को पुलिस ने किया था गिरफ्तार-
घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि आरोपी बस ड्राइवर को सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और उसका नाम राम सिंह बताया गया।
इसके बाद दिल्ली पुलिस के तत्कालीन आयुक्त नीरज कुमार ने मीडिया को संबोधित किया और जानकारी दी कि इस मामले में चार अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया था कि जिस बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, उस पर ‘यादव’ लिखा हुआ था और ये बस दक्षिण दिल्ली में आरके पुरम सेक्टर-3 से बरामद कर ली गई है। हालांकि सुबूत मिटाने के लिए काफी प्रयास किये गए थे बल्कि बस को धो भी दिया गया था।
शीला दीक्षित ने कहा- मेरी हिम्मत नहीं उसे देखने की-
सड़कों और सोशल मीडिया से उठी आवाज़ संसद के रास्ते सड़कों पर पहले से कहीं अधिक बुलंद होती नजर आ रही थी। दिल्ली के साथ-साथ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे। दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा था कि उनमें इतनी हिम्मत नहीं कि वो पीड़ित लड़की को देखने जा सकें।
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सफदरजंग अस्पताल जाकर पीड़ित लड़की का हालचाल जाना था। निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी। लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था।
आरोपियों पर हुए फैसले-
इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 सितंबर, 2013 को चारों बालिग आरोपियों को दोषी करार दिया और 13 सितंबर 2013 को उन्हें मौत की सजा सुनाई। आरोपियों ने फास्टट्रैक कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 जनवरी 2014 को फैसला सुरक्षित रखा और 13 मार्च 2014 को निचली अदालत द्वारा चारों बालिग आरोपियों को सुनाई गई मौत की सजा पर मुहर लगा दी।
इसके बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में मौत की सजा को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च 2017 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को वह ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसका पूरे देश को इंतजार था। सुप्रीम कोर्ट ने भी चारों बालिग आरोपियों की मौत की सजा को कायम रखा।
जबकि इस जघन्य अपराध में शामिल नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 20 दिसंबर 2015 को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया।
फिलहाल, इनमें से अभी एक आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुर्नविचार याचिका दायर की है।