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ढेर सारे कंडोम के ऐड ‘इश्कबाज’ शो को मिलेंगे!,जानें कैसे

नई दिल्ली। कंडोम विज्ञापनों को प्रमोट करने वाले टीवी चैनलों को अब सरकार ने सख्त निर्देश दे दिया है। टीवी चैनलों के ऐसे विज्ञापनों पर सख्ती बरतते हुए सरकार ने कहा कि, ‘अब कंडोम के विज्ञापन केवल रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक ही चलाए जाएंगे। इसकों लेकर सोशल मीडिया पर बहस देखी जा सकती है।

कई लोगों की अलग-प्रतिक्रिया आ रही है। उधर छोटे पर्दे पर सबसे ज्यादा सुर्खिया बटोरने वाले शो इश्कबाज में नजर आने वाले नकुल मेहता ने भी इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। हालांकि उन्होंने कंडोम के विज्ञापन केवल रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक ही चलाए जाने पर चुटकी लेते हुए कहा है कि ट्विटर पर पोस्ट किया है।

मुझे लगता है कि इश्कबाज को अब ढेर सारे कंडोम के ऐड मिल सकते हैं क्योंकि हमारा शो रात 10 बजे आता है। यही नहीं बल्कि, इसके अलावा नकुल ने दूसरे ट्वीट में लिखा, हां, क्योंकि कंडोम भयानक है।

परिवार नियोजन और सेफ सेक्स की जरूरत ही क्यों है और हां, चलो एकमात्र खेल में गोल्ड मेडल जीतते हैं जिसमें हम चीन को हरा सकते हैं। सीरियल इश्कबाज में नकुल शिवाय मुख्य भूमिका में है जबकि उनकी अपोजिट किरदार में टीवी की जानी-मानी अभिनेत्री सुरभि चंदना अनिका भी दमदार रोल में नजर आ रही है।

दोनों की जोड़ी छोटे पर्दे पर अपनी अलग पहचान बनाती दिख रही है।  बता दें कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर कहा था, ‘कंडोम के विज्ञापन सुबह छह से रात 10 बजे के बीच नहीं दिखाए जाएंगे, ताकि बच्चों को इनसे दूर रखा जा सके। साथ ही 1994 के केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा सके।

‘ मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इन नियमों का उल्लंघन करने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में लिखा गया है, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संज्ञान में लाया गया है कि कुछ चैनल कई बार कंडोम का विज्ञापन चलाते हैं, जो बच्चों के लिए ठीक नहीं है।

इस बाबत टीवी चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क रूल, 1994 पर ध्यान देना चाहिए, जिसके नियम 7 (7) के तहत ऐसे विज्ञापन जिनसे बच्चों की सुरक्षा प्रभावित होती हो या उन पर गलत प्रभाव डालते हो, उन्हें ना चलाया जाए. वहीं नियम 7 (8) कहता है कि विज्ञापनों में अनुचित, अश्लील, डरावना या अपमानजनक विषय या वर्णन नहीं होना चाहिए। मंत्रालय का कहना था, कि विज्ञापन एजेंसियों को ध्यान में रखना चाहिए कि, बच्चे का मानसिक दृष्टिकोण क्या है और इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही एड के टाइमिंग फिक्स करने चाहिए।

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