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धर्मशाला में टीम इंडिया का निकला दम, 112 रन पर शेर हुए ढेर

धर्मशाला | महेंद्र सिंह धौनी ने धर्मशाला में खेले जा रहे तीन वनडे मैचों की सीरीज के पहले मैच में रविवार को भारत को अपने वनडे इतिहास के न्यूनतम स्कोर से बचा लिया। श्रीलंका ने टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनी जिसे उसके गेंदबाजों ने सही साबित किया और भारत को 38.2 ओवरों में 112 रनों पर ढेर कर दिया।

एक समय भारत के लिए 50 का आंकड़ा पार करना भी मुश्किल लग रहा था। उसने अपने सात विकेट 29 रनों के कुल स्कोर पर खो दिए थे, लेकिन संकटमोचक धौनी ने अहम समय पर 87 गेंदों में 10 चौके और दो छक्कों की मदद से 65 रनों की पारी खेलते हुए अपनी टीम को 100 का आंकड़ा पार कराया, साथ ही उसे वनडे इतिहास में सबसे न्यूनतम स्कोर पर आउट होने से भी बचा लिया।

वनडे की एक पारी में सबसे कम स्कोर जिम्बाब्वे के नाम है। श्रीलंका ने ही उसे 24 अप्रैल 2004 में हरारे में 35 रनों पर समेट दिया था। भारत का न्यूनतम स्कोर भी श्रीलंका के खिलाफ है। श्रीलंका ने ही शारजाह में 29 अक्टूबर 2000 को भारत को 54 रनों पर ढेर कर दिया था।

बल्लेबाजी करने उतरी भारत का पहले ओवर में खाता भी नहीं खुला। दूसरे ओवर में भी उसके हिस्से एक भी रन नहीं आया, लेकिन ओवर की आखिरी गेंद पर शिखर धवन, एंजेलू मैथ्यूज की गेंद पर पगबाधा करार दे दिए गए।

भारतीय टीम रन नहीं बना पा रही थी। पाचवें ओवर की पहली गेंद पर कप्तान रोहित शर्मा दो रन बनाकर सुरंग लकमल की गेंद पर विकेट के पीछे निरोशन डिकवेला के हाथों कैच हो गए। भारत ने पहले पांच ओवर में दो रनों पर दो विकेट खो दिए थे। यह वनडे इतिहास में किसी भी टीम द्वारा पांच ओवर में दूसरा सबसे कम स्कोर है। इससे पहले इंग्लैंड ने द ओवल मैदान पर 2001 में पांच ओवरों में एक विकेट पर एक रन बनाया था।

10 ओवर तक आते-आते भारत ने अपने तीन विकेट खो दिए थे और स्कोरबोर्ड पर 11 रन था। यह भारत का 2001 के बाद पहले 10 ओवर में सबसे कम स्कोर है। भारत का विकेट गिरने का सिलसिला रुका नहीं और उसने 16 रनों पर ही अपने पांच विकेट खो दिए। यह वनडे इतिहास में पहली बार है जब किसी टीम ने 16 रनों पर पांच विकेट खो दिए हों। इससे पहले भी भारत ने 17 रनों पर पांच विकेट 1983 विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ खोए थे।

पदार्पण कर रहे श्रेयस अय्यर नौ रन और दिनेश कार्तिक शून्य तथा मनीष पांडे दो रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उसके शीर्ष पांच बल्लेबाजों में से एक भी दहाई का आकंड़ा नहीं छू पाया था। यह भारत का कुल पांचवां मौका है जब भारत के शीर्ष पांच बल्लेबाज दहाई के आंकड़े में भी नहीं पहुंच पाए।

टेस्ट सीरीज में आराम फरमाने गए हार्दिक पांड्या (10) 28 के कुल स्कोर पर नुवान प्रदीप का शिकार हुए। एक रन बाद भुवनेश्वर कुमार (0) को लकमल ने पवेलियन भेजा।

यहां लग रहा था कि भारतीय टीम जल्द ही ऑल आउट हो जाएगी, लेकिन धौनी ने आठवें विकेट के लिए कुलदीप यादव (19) के साथ 41, जसप्रीत बुमराह के साथ नौवें विकेट के लिए 17 और युजवेंद्र चहल के साथ दसवें विकेट के लिए 25 रनों की साझेदारी करते हुए भारत को बेहद शर्मनाक स्थिति में जाने से बचा लिया और 100 के पार पहुंचाया। बुमराह और चहल खाता नहीं खोल पाए। चहल नाबाद लौटे।

धौनी के रूप में भारत का आखिरी विकेट गिरा।

श्रीलंका की तरफ से लकमल ने चार विकेट लिए। प्रदीप ने दो विकेट लिए जबकि मैथ्यूज, कप्तान थिसारा परेरा, अकिला धनंजय, सचिथा पाथिराना को एक-एक सफलता मिली।

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