अपराध के मामले में पुरुषों से भी खतरनाक हैं यहां की महिलाएं, बच के रहना
नई दिल्ली। भारत में लचर कानून व्यवस्था के कारण महिलाओं पर हो रहे अपराधों की संख्या जहां बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी तरफ साल 2014 में एनसीबी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में 1,94,867 महिलाओं को हत्या, बलात्कार में सहयोग, अपहरण, डकैती आदि मामलों में गिरफ्तार किया गया है। आंकड़ों की मानें तो अपराध के मामले में पुरुषों से महिलाएं बहुत आगे हैं। कहने को तो लोग यह कहते हैं कि भारत में पुरुष महिलाओं को दबाकर रखते हैं लेकिन आंकड़ों की बात की जाए तो आंकड़ें तो कुछ और ही कहते हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र से हत्या के आरोप में गिरफ्तार होने वाली महिलाओं की संख्या 509 है। तो आइए अब हम एक नज़र डालते हैं भारत के प्रमुख राज्यों में महिलाओं के अपराध के आंकड़ों पर।
महाराष्ट्र : गिरफ्तार की गई महिलाओं की संख्या— 30,568
जहां महाराष्ट्र भारत की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है वहीं इस राज्य में अपराध भी बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं। यहां पर महिलाएं भी हत्या और साजिश जैसे क्राइम में लिप्त रहती हैं।
उत्तर प्रदेश : गिरफ्तार की गई महिलाओं की संख्या— 17,437
भारत का उत्तर प्रदेश राज्य सबसे ज्यादा पुरुष प्रधान राज्यों में से एक है। यहां पर कानून व्यवस्था को लेकर भी कई बार सवाल खड़े किए जा चुके हैं लेकिन यहां पर स्थिति अभी भी जस की तस है। फिर भी पुरुषों की तरह महिलाएं भी अपराध करने में पीछे नहीं हैं, कारण कुछ भी हो।
राजस्थान : गिरफ्तार की गई महिलाओं की संख्या— 16, 187
महिलाओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों के मामले में राजस्थान तीसरे नंबर पर आता है। इस राज्य में महिलाओं के साथ क्राइम भी ज्यादा होता है।
गुजरात : गिरफ्तार की गई महिलाओं की संख्या— 14, 152
कहने तो लोग कहते हैं कि विकास के लिए भारत का आदर्श बन चुका गुजरात राज्य, पर अपराध के मामले में कुछ पीछे नहीं है। यहां पर भी महिलाओं द्वारा अपराधों की संख्या बढ़ रही है।
इस लिहाज़ से देखा जाए तो अब भारत महिलाओं के मामले में पिछड़ा नहीं रह गया है। जहां करियर बनाने, समाज में प्रतिष्ठा पाने और काम करने में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं वहीं अपराध में भी महिलाएं, पुरुषों को कड़ी टक्कर दे रही हैं।
अब ऐसे में अगर देखा जाए तो भारत में अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बलात्कार की घटनाएं तो सबसे ज्यादा होने लगी हैं। महिलाओं के अपराधों में लिप्त होने और महिलाओं के अपराध से पीड़ित होने की संख्या में ज्यादा फर्क नहीं है। कई मामलों में तो महिलाएं ही दूसरी महिलाओं के साथ अपराध को बढ़ावा देती हैं।
वैसे तो स्त्री को ममता और दया की मूर्ति कहा जाता है लेकिन उनके ऐसे कृत्यों को देखकर समझ नहीं आता कि उनकी ममता कहां चली जाती है।अगर महिलाओं के अपराधों की संख्या को ध्यान में रखा जाए तो कहा जा सकता है कि आज की महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। पुरुष तो खाली ऐसे ही बदनाम हैं पर ऐसे मामलों में महिलाएं पुरुषों को भी पीछे छोड़ती जा रही हैं।