अंबेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा दिलाने वाले बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद का निधन
लखनऊ, 30 नवंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर को दीक्षा देने वाले बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद का गुरुवार को निधन हो गया।
उन्हें सांस लेने में तकलीफ के चलते बीते सोमवार को किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में भर्ती कराया गया था। उन्हें फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत थी और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
90 वर्षीय प्रज्ञानंद ने गुरुवार सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली।
केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एस.एन. शंखवार ने बताया, प्रज्ञानंद का आज (गुरुवार) दिन में करीब 11 बजे निधन हो गया। सीने में दर्द तथा सांस लेने में तकलीफ होने पर उनको बीते दिनों ट्रामा सेंटर में एडमिट कराया गया था, वहां से उन्हें दो दिन पहले केजीएमयू के गांधीवार्ड में शिफ्ट किया गया था। वह गांधी वार्ड के आईसीयू में भर्ती थे, उनके फेफड़े में इंफेक्शन था और ब्लड शुगर की समस्या भी थी। डॉ. के.के. गुप्ता उनका इलाज कर रहे थे।
उनकी देखभाल करने वाले भंते सुमन ने बताया कि गुरु प्रज्ञानंद बीते दो वर्ष से बेड पर थे।
श्रीलंका में जन्मे बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद 90 वर्ष के थे। वह 1942 में भारत आ गए थे। बाबा साहेब ने 1948 और 1951 में लखनऊ का दौरा किया था। इसी दौरान उन्होंने प्रज्ञानंद से बौद्ध धर्म अपनाने की इच्छा भी जाहिर की थी। बाद में हिंदू धर्म की कुरीतियों का विरोध करते हुए 14 अक्टूबर, 1956 को बाबा साहेब ने पत्नी सहित बौद्ध धर्म अपना लिया था।
नागपुर स्थित दीक्षाभूमि में बौद्ध भिक्षु चंद्रमणि और प्रज्ञानंद सहित सात अन्य बौद्ध भिक्षुओं ने डॉ. अंबेडकर को दीक्षा दिलाई थी। प्रज्ञानंद के निधन के साथ ही अब इनमें से कोई भी जीवित नहीं रहा।