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धुंध से निपटने के लिए स्पष्ट, निर्णायक नेतृत्व की जरूरत : संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रमुख

नई दिल्ली, 30 नवंबर (आईएएनएस)| संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हेम का कहना है कि भारत की राजधानी दिल्ली में धुंध की समस्या का कोई जादुई समाधान नहीं है क्योंकि इसके कई कारक हैं। उन्होंने कहा कि इस मसले से निपटने में जो सबसे खास बात है, वह है स्पष्ट और निर्णायक नेतृत्व की जरूरत।

उन्होंने बताया कि दिल्ली, मैनचेस्टर, लंदन, और नैरोबी सबकी एक जैसी स्थिति है। नागरिकों और राजनेताओं को एक ही तरह की हवा सांस लेने को मिलती है। निम्न कार्बन उत्सर्जन के फैसले की दिशा में कार्रवाई के लिए मजबूत आम सहमति बनाने की जरूरत है।

नैरोबी से आईएएनएस को दिए ऑनलाइन साक्षात्कार में सोल्हेम ने कहा, दिल्ली में धुंध की समस्या के विविध कारक हैं। इनमें कृषि से संबंधित दहन (पराली जलाना), कूड़ा-करकट जलाना, परिवहन, निर्माण व ऊर्जा उत्पादन समेत कई अन्य कारक शामिल हैं।

अगले सप्ताह नैरोबी में पर्यावरण सभा का आयोजन होने जा रहा है। सोल्हेम इसी में हिस्सा लेने नैरोबी पहुंचे हैं।

उन्होंने कहा कि असल में प्राथमिकता इस बात की है कि प्रदूषण के सही स्रोतों की पहचान के लिए वायु गुणवत्ता का निरीक्षण करने वाली तकनीक का इस्तेमाल करते हुए समाधान की दिशा में कदम उठाने के लिए एक वैज्ञानिक आधार स्थापित हो।

उन्होंने कहा कि इसके बाद नीति निर्माता आंकड़ों का विश्लेषण कर कार्ययोजना की प्राथमिकता तय कर सकते हैं और भविष्य में परिवर्तन की योजना तैयार कर सकते हैं। इसलिए इस मुद्दे पर स्पष्ट और निर्णायक नेतृत्व की जरूरत है। जन-स्वास्थ्य से जुड़ा मसला होने के कारण हर किसी को ठोस कार्रवाई के लिए जनता का समर्थन मिलने को लेकर पक्का भरोसा हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन के तीसरे सत्र से पहले प्रदूषण विषय पर सकारात्मक बातचीत को लेकर आशान्वित सोल्हेम ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए परिवहन पर कार्रवाई करने की जरूरत है।

इस पर्यावरण सभा में प्रदूषण के मसले पर बैठक के लिाए दुनियाभर से नेता नैरोबी पहुंच रहे हैं।

वैश्विक उत्सर्ज के तकरीबन 18 फीसदी हिस्से के लिए परिवहन उत्तरदायी है, क्योंकि यह क्षेत्र 90 फीसदी तक अभी भी कार्बन आधारित जीवाश्म ईंधन पर निर्भर करता है।

193 सदस्य देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का मकसद वायु, मृदा और जल प्रदूषण को दूर करना और रासायनिकों व कूड़ा-करकटों का सुरक्षित प्रबंध करना है।

सोल्हेम के अनुसार ग्रीनहाउस गैस की कटौती का समाधान हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने में है। भारत और चीन असाधारण बदलाव के साथ अक्षय ऊर्जा को अपनाने की दिशा में प्रगतिशील हैं।

सोल्हेम ने कहा, मुझे यकीन है कि दोनों देश इस मार्ग पर अपनी प्रगति जारी रखते हैं तो ये ऊर्जा के मामले में दुनियाभर में अग्रणी देश बनकर उभरेंगे।

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