राष्ट्रीय

छग : मोबाइल कंपनियों को 6 सौ करोड़ रुपये, शिक्षाकर्मियों को कुछ नहीं

रायपुर, 28 नवंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की कैबिनेट ने मंगलवार को कई फैसले लिए। इसमें मोबाइल कंपनियों को छह सौ करोड़ रुपये देने, डीजी के तीन पद बढ़ाने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजने जैसे फैसले लिए गए।

लेकिन शिक्षाकर्मियों के लिए कोई भी फैसला नहीं लिया गया। भीतरी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कई मंत्रियों ने इसका विरोध भी किया। इसके बावजूद प्रस्ताव पास करा लिए गए। राज्य सरकार ने 14वें वित्त आयोग के मद में केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में से 600 करोड़ रुपये मोबाइल कंपनियों को देने का फैसला किया है। जिन कंपनियों को ये राशि दी जाएगी, उनमें निजी कंपनियां भी शामिल हैं।

दरअसल राज्य सरकार ने तीन सालों में 55 लाख मोबाइल बांटने का फैसला किया है। इन मोबाइल को कनेक्टिविटी देने के लिए नए टॉवर लगाने में ये राशि खर्च की जाएगी।

योजना का ऐलान करते समय सरकार ने विधानसभा में कहा था कि कनेक्टिविटी देने के लिए मोबाइल कंपनियां स्वयं के खर्च पर टॉवर स्थापित करेंगी। लेकिन मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इसमे बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने अपने खर्च पर टॉवर लगाने का फैसला किया है। 14वें वित्त आयोग की राशि ग्राम पंचायतों के विकास के लिए सीधे पंचायतों को दी जाती है। छत्तीसगढ़ में लगभग 20 हजार ग्राम पंचायतें हैं। इस लिहाज से प्रत्येक ग्राम पंचायत के विकास के हिस्से की लगभग 30 लाख रुपये की राशि मोबाइल टॉवर लगाने में खर्च होगी।

बैठक में पुलिस महकमे में डीजी के तीन पद बढ़ाने का प्रस्ताव भी आया, जिसका अनुमोदन कर दिया गया। राज्य के तीन वरिष्ठ आईपीएस आर.के. विज, संजय पिल्लै और मुकेश गुप्ता जनवरी से डीजी पद के लिए योग्य हो जाएंगे। लिहाजा उन्हें पदोन्नति देने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। छत्तीसगढ़ में डीजी के तीन पद केंद्र से स्वीकृत हैं। इसके बाद ये तीन अतिरिक्त पद स्वीकृत करने के लिए अब केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

सूत्र के अनुसार, इन दोनों प्रस्तावों का कैबिनेट की बैठक में कई मंत्रियों ने तीखा विरोध किया। मंत्रियों ने दलील दी कि 14वें वित्त आयोग की राशि खर्च करने के लिए केंद्र सरकार से मापदंड निर्धारित हैं, उससे अलग हटकर राशि खर्च नहीं की जा सकती। वहीं डीजी के पद सृजित करने को लेकर पूर्व में केंद्र सरकार की आपत्तियों का हवाला दिया गया। इसके बाजवूद दोनों प्रस्ताव पास करा दिए गए।

बैठक में शिक्षाकर्मी आंदोलन को लेकर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने जानकारी दी कि स्कूलों में चपरासी, साक्षरता प्रेरक और दूसरे सरकारी कर्मचारी बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन हड़ताल खत्म कराने को लेकर पंचायत और स्कूल शिक्षा विभाग कोई फॉमूर्ला पेश नहीं कर सका और इस पर कोई फैसला भी नहीं हुआ।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close