Main Slideउत्तराखंड

शिवलिंग की आकृतियों से कर रहे भयंकर सूखे की भविष्यवाणी

देहरादून। उत्तर भारत पिछले 330 सालों में करीब 26 बार सूखे का सामना कर चुका है। आने वाले साल 2020 और 2022 में उत्तर भारत के इलाकों में एक बार फिर से भयंकर सूखे के हालात पैदा होने की संभावना है। जी हां। ऐसा अनुमान भू-वैज्ञानिक के शोधों के बाद लगाया जा रहा है।

उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ों की गुफाओं में बनी शिवलिंगनुमा आकृतियों पर ये शोध किया गया है। बता दें कि, सैकड़ों वर्षों तक मौसम में हुए बदलावों का लेखा जोखा शिवलिंगनुमा की इन आकृतियों में सिमटा रहता है।

इसपर हुए शोध से न सिर्फ सैकड़ों वर्षों में हुए जलवायु परिवर्तन का पता लगाया जा सकता है बल्कि इसके द्वारा आने वाले विनाश, विपदा का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

 

कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के शोधकर्ता अनूप कुमार सिंह के इस शोध को हाल में ही राज्यपाल अवार्ड से भी नवाजा गया है। अनूप सिंह ने हाल ही में रानीखेत के करीब की ऐसी गुफाओं का भूगर्भीय नजरिए से आकलन किया।

इस दौरान उन्हें कुछ गुफाओं में शिवलिंगनुमा आकृतियां मिलीं। ये आकृतियां प्राकृतिक रूप से बनी थीं। इन्हें भूविज्ञान की भाषा में स्टैगलाइट या स्टेलेग्टाइट कहतें हैं। सामान्य रूप से इसे प्राकृतिक शिवलिंग कहते हैं।

मुख्य रूप से चूना पत्थर से बनी ये शिवलिंगनुमा आकृतियां मौसम में आए बदलावों की जानकारी का स्रोत हैं। शोधकर्ता अनूप सिंह ने इन आकृतियों से मौसम में आए बदलावों का पता लगाया। ये आकृतियां हर साल होने वाली बारिश, अतिवृष्टि और हिमपात और सूखा तक की जानकारी अपने अंदर समेटी
हुईं हैं।

इस शोध से पता चला है कि वर्षों पहले इस इलाके में निश्चित अंतराल पर भयानक सूखा भी पड़ता रहा। इन शिवलिंगों की ऊंचाई हर साल पानी बरसने के साथ बढ़ती है। इसी के साथ इन शिवलिंगों में एक वलय या रिंग का निर्माण भी हर मौसम के साथ होता है।

 

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close