न्यायिक सक्रियता सही, लेकिन नीतियों में हस्तक्षेप ना हो : मंत्री
नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)| कानून व न्याय राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी ने शनिवार को कहा कि न्यायिक सक्रियता न्यायपालिका की स्वतंत्रता का नतीजा है और इसकी तब तक सराहना की जानी चाहिए जब तक यह नीतियों में हस्तक्षेप नहीं करता।
राष्ट्रीय कानून दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मेलन में उन्होंने कहा, जब न्यायिक सक्रियता और समीक्षा नीतिगत निर्णयों पर आक्रमण करने लगती है तो इसका प्रभाव हानिकारक हो सकता है।
उन्होंने कहा, न्यायिक सक्रियता खुद में न्यायिक स्वतंत्रता का जरूरी नतीजा है और जिनकी न्याय तक पहुंच नहीं है, उनके अधिकारों की रक्षा करने पर न्यायिक स्वतंत्रता की सराहना की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शासन के ‘मौलिक सिद्धांत’ के रूप में, निर्णय ‘जहां तक संभव हो, पुर्वानुमेय होना चाहिए न कि बाधा पहुंचानेवाली।’
उन्होंने कहा, जब नीति निर्माण में न्यायिक सक्रियता बढ़ जाती है तो इसके प्रभाव विघटनकारी हो सकते हैं। इसलिए जितना हो सके इसे टालने की कोशिश करनी चाहिए।
मंत्री ने कहा कि जहां न्यायिक स्वतंत्रता लोकतंत्र के स्तंभ हैं और न्यायिक जवाबदेही इस ‘स्तंभ का आधार’ है।