व्यापमं घोटाला : कांग्रेस का आरोप, शिवराज के पास था चिकित्सा शिक्षा का प्रभार
भोपाल, 25 नवंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा वर्ष 2012 के पीएमटी घोटाले को लेकर न्यायालय में पेश किए गए आरोप-पत्र के बाद कांग्रेस को बड़ा हमला करने का मौका मिल गया है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, जिस वर्ष यह घोटाला हुआ, चिकित्सा शिक्षा विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास था। इस तरह उन पर भी आरोप-पत्र में सीधी उंगली उठ रही है।
सिंह ने शनिवार को एक बयान जारी कहा, सीबीआई द्वारा व्यापमं घोटाले में पेश किए गए आरोप पत्र से एसटीएफ की जांच पर कई सवाल खड़े हुए हैं। इस आरोप पत्र से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ सीधी उंगली उठ रही है, क्योंकि जिस समय पीएमटी परीक्षा में घोटाला हुआ, उस समय चिकित्सा शिक्षा का प्रभार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास था।
सिंह ने सवाल किया कि जब चिकित्सा शिक्षा के अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं तब क्या शिवराज सिंह चौहान की इसमें जबावदेही तय नहीं होनी चाहिए?
नेता प्रतिपक्ष ने सीबीआई द्वारा पेश आरोप-पत्र के बाद कहा, मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि जब सरकारी कोटे की सीटें बेची जा रही थीं, उस समय चिकित्सा शिक्षा का प्रभार किसके पास था। विधानसभा में व्यापमं घोटाले की चर्चा की दौरान मुख्यमंत्री ने खड़े होकर एसटीएफ प्रमुख और उसके कामकाज की सराहना की थी। यह सराहना इसलिए की थी कि एसटीएफ इस घोटाले के असली और रसूखदार आरोपियों को बचा रहा था।
कांग्रेस के नेता ने जानना चाहा कि एसटीएफ ने मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी प्रेम प्रसाद और उनकी बेटी की जमानत अर्जी का विरोध क्यों नहीं किया। मुख्यमंत्री बताएं कि क्या उनका कोई रिश्तेदार प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ा है।
उन्होंने आगे कहा, मुख्यमंत्री को भले ही अदालत से क्लीन चिट मिली हो, पर क्या यह सच नहीं है कि उनके तत्कालीन मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, भाजपा पदाधिकारी सुधीर शर्मा, जनअभियान परिषद के तत्कालीन उपाध्यक्ष अजय शंकर मेहता, गुलाब सिंह किरार और प्रेम प्रसाद सहित उनके कई निकटतम लोग व्यापमं घोटाले में शामिल हैं।
सिंह ने कहा, सीबीआई के आरोप-पत्र के बाद व्यापमं महाघोटाले की शक की सुई सरकार की तरफ घूमी है। इस घोटाले ने मध्यप्रदेश के लाखों विद्यार्थियों के भविष्य पर जो दाग लगाया है, उसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं।