राष्ट्रपति ऊंची अदालतों में कमजोर वर्गो के कम प्रतिनिधित्व से चिंतित
नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऊंची अदालतों में महिलाओं, अन्य पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के अस्वीकार्य रूप से कम प्रतिनिधित्व को लेकर शनिवार को चिंता जाहिर की और इस स्थिति का समाधान निकालने के लिए आवश्यक कदम उठाने का उन्होंने आह्वान किया।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, पारंपरिक रूप से कमजोर वर्गो जैसे अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व अस्वीकार्य रूप से कम है, विशेषकर ऊंची अदालतों में।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रति चार न्यायाधीशों में एक न्यायाधीश महिला है।
न्यायपालिका को अन्य सार्वजनिक संस्थाओं के साथ कदम मिलाते हुए वास्तव में समाज की विविधता का प्रतिनिधित्व करने का आह्वान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, अन्य सार्वजनिक संस्थानों की तरह हमारी न्यायपालिका को भी हमारे देश की विविधता का प्रतिनिधित्व करने के प्रति और हमारे समाज की गहराई व व्यापकता के प्रति न्यायसंगत होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारी निचली अदालतों, उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में 17,000 न्यायाधीशों में से लगभग 4,700 महिला न्यायाधीश हैं, यानी चार में से एक न्यायाधीश महिला है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऊंची अदालतों द्वारा जिला एवं सत्र न्यायालयों के न्यायाधीशों को कुशल को बनाना पावन कर्तव्य है, ताकि ज्यादा से ज्यादा न्यायाधीश पदोन्नत होकर उच्च न्यायालय पहुंच सकें।
राष्ट्रपति राष्ट्रीय कानून दिवस के मौके पर भारतीय विधि आयोग और नीति आयोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।