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साइबर अपराधों से लड़ने वैश्विक कानून जरूरी : भारत

नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)| साइबर स्पेस में बढ़ते खतरों के मद्देनजर, अंतर्राष्ट्रीय कानून की कमी एक बाधा बन गई है और देशों को हैकर्स से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए एक आम कानून बनाने के लिए एकजुट होना चाहिए। साइबर सिक्युरिटी प्रमुख गुलशन राय ने शुक्रवार को यह बात कही। प्रधानमंत्री कार्यालय में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक राय ने कहा कि खतरों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित प्रणालियों की विविधता ने हितधारकों के लिए ऐसा कानून तैयार करना मुश्किल बना दिया है।

साइबर स्पेस पर वैश्विक सम्मेलन के पांचवें संस्करण (जीसीसीएस) से इतर राय ने यहां आईएएनएस को बताया, साइबर खतरों से निपटने के लिए इस तरह का तंत्र विकसित करने और व्यापक तरीके से स्थापित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, हमें वैश्विक स्तर पर सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।

राय ने कहा, हमें खतरों की पहचान करने के लिए पर्याप्त उपाय करने की जरूरत है और इस तरह घटनाओं को रोकने के लिए तंत्र बनाने की जरूरत है।

इस सत्र में इजरायल के विदेश मंत्रालय के साइबर सुरक्षा समन्वयक इड्डो मोएड ने सहमति व्यक्त की कि बढ़ते साइबर खतरों से लड़ने से साझा मूल्यों के आधार पर वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।

नीदरलैंड के पूर्व विदेश मंत्री उरी रोसेन्थल ने कहा, साइबर स्पेस हर किसी के लिए है और विशेष रूप से किसी एक लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया की 60 फीसदी आबादी की अभी तक इंटरनेट तक पहुंच नहीं है।

उन्होंने कहा कि डिजिटल समावेशन को बढ़ाने में भारत एक अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि साइबर अपराध से लड़ने के लिए सार्वजनिक-निजी सहयोग की भी आवश्यकता है।

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