राष्ट्रीय

व्यापमं घोटाले में 4 चिकित्सा महाविद्यालयों के संचालक भी संलिप्त

भोपाल, 24 नवंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गुरुवार को 592 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में पेश किए गए आरोप पत्र में चार चिकित्सा महाविद्यालयों के संचालकों के भी नाम हैं। मामले में 20 आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया, जिसे न्यायाधीश डी. पी. मिश्रा ने खारिज कर दिया। अदालत की कार्रवाई रात 2़10 बजे तक चली।

सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक सतीश दिनकर ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा , सीबीआई के आरोप-पत्र में कुल 592 आरोपी हैं, जिनमें 245 नए हैं। इनमें से 20 आरोपियों की तरफ से जमानत के लिए आवेदन दिए गए, जिसे न्यायाधीश डी.पी. मिश्रा ने खारिज कर दिए।

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि जो नए आरोपी बनाए गए हैं, उनमें पीपुल्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश एन. विजयवर्गीय, एल.एन. चिकित्सा महाविद्यालय के जयनारायण चौकसे, चिरायु के डॉ. अजय गोयनका, और इंडेक्स चिकित्सा महाविद्यालय के सुरेश भदौरिया सहित कुल 245 नए आरोपी हैं। ये सभी व्यापमं द्वारा 2012 में आयोजित पीएमटी परीक्षा में हुए घोटाले में शामिल थे।

आरोपियों की ओर से मांगी गई जमानत का सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक दिनकर ने विरोध किया। उनका कहना था कि करोड़ों रुपये का लेन देन कर इन महाविद्यालयों ने सरकारी कोटे में अपात्रों को दाखिला दिया, जिससे योग्य उम्मीदवारों का हक मारा गया है। इससे समाज को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई मुश्किल है।

व्हिसिलब्लोअर डॉ. आनंद राय ने आईएएनएस को बताया कि सीबीआई की ओर से गुरुवार को विशेष न्यायाधीश डी.पी. मिश्रा की अदालत में वर्ष 2012 की पीएमटी परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर आरोप-पत्र पेश किया गया है। यह लगभग 1500 पृष्ठों में है।

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के आरोप-पत्र में यह बात भी सामने आई है कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में एमबीबीएस में दाखिले के एवज में 80 लाख रुपये और स्नाकोत्तर के लिए एक करोड़ रुपये तक ज्यादा की रकम ली गई। अनुमान के मुताबिक, इस एक वर्ष में हजार करोड़ का घोटाला हुआ है।

व्यापमं घोटाले पर गौर करें तो पता चलता है कि इसमें कई बड़े लोग, जिनमें शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओ. पी. शुक्ला, भाजपा नेता और कई भाजपा नेताओं के करीबी सुधीर शर्मा, व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, व्यापमं के कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन महेंद्रा घोटाले का सरगना डॉ. जगदीश सागर जेल जा चुके हैं। इनमें से कई जमानत पर हैं।

ज्ञात हो कि मामला नौ जुलाई, 2015 को सीबीआई को सौंपे जाने से पहले जांच कर रही एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले में कुल 55 प्रकरण दर्ज किए गए थे। इसमें से 2100 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार हैं। जांच के दौरान 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। एसटीएफ इस मामले के 1200 आरोपियों के चालान भी पेश कर चुका है।

इस मामले का जुलाई 2013 में खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंपा गया था। फिर इस मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रहा था। अब मामला सीबीआई के पास है।

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