जेपी हॉस्पिटल में डेढ़ माह की बच्ची को मिला नया जीवनदान
नोएडा, 23 नवंबर (आईएएनएस)| जेपी हॉस्पिटल के पीडिएट्रिक कार्डियक डिपार्टमेन्ट के डॉक्टरों की टीम ने दिल की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित 42 सप्ताह की बच्ची आहना को नया जीवनदान दिया है। डेढ़ माह की आहना के जन्म से पहले ही उसके वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट की बीमारी का पता चल गया था, लेकिन बीमारी का इलाज संभव था, इसलिए उसके माता पिता ने उसे जन्म देने का फैसला लिया। जन्म के बाद पाया गया कि वह एक और विकार कॉर्कटेशन ऑफ एओर्टा (सीओए) से भी पीड़ित है। सीओए एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर को ऑक्सीजन युक्त खून पहुंचाने वाली महाधमनी एओर्टा सामान्य से संकरी होती है। जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है।
आहना के जन्म के 14 दिन बाद ही उसे भुवनेश्वर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसे एक महीने के लिए वेंटीलेटर पर रखा गया। बच्ची के इलाज से माता-पिता संतुष्ट नहीं हुए और जिसके बाद कई अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद वे उसे जेपी अस्पताल लेकर आए।
जेपी हॉस्पिटल के पीडिएट्रिक कार्डियक सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. राजेश शर्मा ने कहा, सामान्य स्थिति में बच्चे के जन्म से पहले चैम्बर्स के बीच की दीवार बंद हो जाती है, जिससे बच्चे के जन्म के बाद ऑक्सीजन वाला खून, ऑक्सीजन रहित खून में नहीं मिल पाता। लेकिन आहना के केस में ऐसा नहीं था। आहना के दिल में बड़ा छेद था। इसके अलावा शरीर को खून पहुंचाने वाली एओर्टा भी बहुत संकरी थी। हमने तकरीबन 55 दिन उसे मॉनिटर किया। उसे ब्रॉड स्पैक्ट्रम एंटीबायोटिक्स और एंटी फंगल दिए गए, ताकि वह पूरी तरह से ठीक हो जाए।
डॉ शर्मा ने कहा, सर्जरी छह घंटे तक चली। इस सर्जरी को ‘वीएसडी क्लोजर एंड एओर्टिक आर्क रिपेयर’ कहा जाता है। इसमें पहले वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट बंद किया गया, इसके बाद छोटे एओर्टिक आर्क को ठीक किया गया।
उन्होंने बताया, हालांकि सर्जरी कामयाब रही लेकिन मरीज का दिल बेहद कमजोर हो गया था। इसलिए हमें उसे लम्बे समय तक वेंटीलेटर पर रखना पड़ा। हमने कई बार वेंटीलेशन कम करने की कोशिश की लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए। हमने ‘ट्रेकियोस्टोमी’ कर मरीज को वेंटीलेशन से हटाया। बाद में न्यूट्रिशन को अनुकूलित किया गया। आखिरकार सर्जरी के 28 दिनों बाद उसे ट्रेकियोस्टोमी से हटा लिया गया।
डॉ राजेश शर्मा ने कहा, जब आहना को जेपी हॉस्पिटल लाया गया, उसका दिल और पेशियां बहुत कम काम कर रही थीं। अगर उसे तुरंत इलाज नहीं दिया जाता, तो उसकी हालत और बिगड़ सकती थी। यहां आने से पहले उसके माता पिता कई परेशानियों से गुजर चुके थे। मैं लोगों को यही सलाह दूंगा कि क्रिटिकल बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन जागरूकता और समय पर इलाज द्वारा हालत को बदतर होने से रोका जा सकता है।
बच्ची के पिता ने कहा, हमारी बेटी जिस दिन से पैदा हुई है, तबसे वह कई परेशानियों से गुजरी है। इलाज के दौरान उसे कई बार कार्डियक फेलियर और संक्रमण हुए। उसके प्लेटलेट्स भी दिन-ब-दिन कम हो रहे थे। लेकिन वह अपनी जिंदगी के लिए लड़ती रही। हम डॉ राजेश शर्मा और उनकी टीम के प्रति आभारी हैं जिन्होंने हमारी बच्ची को नया जीवन दिया है।