राष्ट्रीय

प्रद्युम्न हत्याकांड में बस कंडक्टर को जमानत

गुरुग्राम, 21 नवंबर (आईएएनएस)| हरियाणा की एक अदालत ने मंगलवार को भोंडसी स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल की कक्षा दो के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार 42 वर्षीय बस कंडक्टर अशोक कुमार को जमानत दे दी।

सात साल के प्रद्युम्न का शव आठ सितंबर की सुबह स्कूल के बाथरूम में मिला था। उसका गला रेता गया था। आरोपी कुमार को उसी दिन गिरफ्तार किया गया था।

इस मामले में उसी दिन गुरुग्राम पुलिस ने बस कंडक्टर अशोक को गिरफ्तार किया था और दावा किया था कि बच्चे के साथ गलत काम करने में नाकाम रहने के बाद अशोक ने उसकी हत्या कर दी।

स्कूल स्टॉफ के दो सदस्यों और अशोक के परिवार (पिता अमीरचंद) का दावा है कि गरीब परिवार से होने के कारण अशोक को ‘बलि का बकरा’ बनाया गया।

अमीरचंद ने कहा कि हरियाणा पुलिस ने उनके बेटे को अपराध कबूलने के लिए नशीला पदार्थ दिया और उसपर बेरहमी से अत्याचार किए।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनी यादव ने अशोक को 50,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 22 सितंबर को प्रद्युम्न हत्या मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी ली और आठ नवंबर को उसी स्कूल के कक्षा-11 के छात्र को गिरफ्तार किया था।

सीबीआई के निष्कर्ष के अनुसार, वरिष्ठ छात्र ने अपने जूनियर की हत्या इसलिए कर दी, क्योंकि वह उस दिन अभिभावक शिक्षक बैठक और यूनिट परीक्षा को स्थगित कराना चाहता था। सीबीआई के मुताबिक ‘हत्यारा पढ़ाई में कमजोर है’।

हरियाणा पुलिस ने दावा किया था कि बच्चे की हत्या बस कंडक्टर ने की है। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने कथित तौर पर बच्चे की हत्या इसलिए कर दी, क्योंकि वह लड़के का उत्पीड़न करने में नाकाम रहा था।

पुलिस के दावे पर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे थे। हालांकि, सीबीआई ने बस कंडक्टर को क्लीन चीट नहीं दी है, लेकिन एजेंसी को उसके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है।

अदालत ने सीबीआई को 20 नवंबर को सभी पक्षों के तर्कों के बाद अदालत में स्थिति रपट पेश करने को कहा था। न्यायाधीश ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

अशोक कुमार के वकील मोहित वर्मा ने कहा, कुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं था और अदालत ने अनुच्छेद 21 के तहत उन्हें जमानत दे दी। अनुच्छेद 21 हर नागरिक को जिंदगी और स्वतंत्रता का अधिकार देता है। सीबीआई और हरियाणा पुलिस के सिद्धांतों के बीच बड़ा संघर्ष था और संदेह के लाभ के आधार पर उन्हें जमानत दी गई है।

वकील ने कहा, न्यायालय के निर्णय ने साबित कर दिया कि पुलिस जांच असली अपराधी को बचा रही है और कुमार को अपराध में शामिल फंसाया गया था।

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