आदर्श विवाह अभियान तेज करेगा मिथिलालोक
पटना, 20 नवंबर (आईएएनएस)| ‘पाग बचाओ अभियान’ और पिछले वर्ष सौराठ सभा की सफलता के बाद स्वयंसेवी संस्था मिथिलालोक फाउंडेशन ने अब ‘आदर्श विवाह अभियान’ को और तेज करने का निर्णय लिया है। आदर्श विवाह अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज को दहेजमुक्त बनाना है। फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ़ बीरबल झा ने सोमवार को बताया, सृष्टि निर्माण में वैवाहिक संस्था का अहम योगदान है। मिथिला की वैवाहिक संस्था सदियों से काफी मजबूत रही है। पश्चिम के देशों में जहां लगभग 60 प्रतिशत विवाह विच्छेद (तलाक) देखे जाते हैं, जबकि मिथिला में इसकी प्रतिशत नगण्य है, जो हमारे मजबूत संस्कृति का परिचायक है।
उन्होंने बताया कि मिथिला में प्राचीन समय से ‘सौराठ सभा’ का आयोजन होता रहा है। कालांतर में भले ही इसकी महत्ता कम हो गई हो, लेकिन मिथिलालोक बैनर के तहत आदर्श विवाह (दहेजमुक्त) के लिए ‘चलू सौराठ सभा’ अभियान 2016 में चलाया गया, जिसका परिणाम यह था कि चार दशक के बाद लाखों की भीड़ सौराठ और सभागाछी पहुंची, जहां पर मैथिल ब्राह्मणों की 365 शादियां तय की गईं। ये सारी शादियां दहेजमुक्त रहीं। इस अभियान में डॉ. झा के साथ कई स्वयंसेवी प्रफुल्ल चंद्र झा, आशीष मिश्रा, मनोज झा, ज्योति मिश्रा और अन्य नाम शामिल रहे।
डॉ. झा के सहकर्मी केशव कुमार बेनीपट्टी के रहने वाले हैं, जिन्होंने सरिता स्नेहा से आदर्श विवाह किया और आज सफल वैवाहिक जिंदगी गुजार रहे हैं।
उन्होंने बताया, इस अभियान को और तेज किया जा रहा है। आदर्श विवाह अभियान फाउंडेशन का एक अनवरत प्रयास है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जगह-जगह पर कई गोष्ठियां एवं सेमिनार पिछले तीन साल से चलाया जा रहा है।
आदर्श विवाह पर जोर देने वाले डॉ़ झा का लिखा गीत ‘प्रीतम नेने चलू हमरो सौराठ सभा’ काफी लोकप्रिय है। डॉ. झा ने अपनी योजना बताते हुए कहा कि आने वाले पांच वर्षो में दहेज रोकने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
उन्होंने बिहार सरकार की दहेज विरोधी कानून को अमली जामा पहनाने को अच्छी पहल बताते हुए कहा कि इसका समाज में व्यापक प्रभाव नजर आएगा।
डॉ. झा का मानना है, समाज को दहेज मुक्त बनाने के लिए कानून से ज्यादा सामाजिक आंदोलन की जरूरत है तथा व्यक्ति की विचारधारा में सकारात्मक परिवर्तन लाने की जरूरत है। सभी सामाजिक संस्थाओं को इस मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मिथिला के सभी 14 सभागाछियों को जीवंत करने की जरूरत है।