राष्ट्रीय

त्रिपुरा में साइनबोर्ड पर जनजातीय भाषा अनिवार्य

अगरतला, 19 नवंबर (आईएएनएस)| त्रिपुरा सरकार ने सभी सरकारी इमारतों के साइनबोर्ड, नाम पट्टिका और अन्य नोटिस बोर्ड पर जनजातीय भाषा और नाम का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है। राज्य के कोकबोरोक और अल्पसंख्यक भाषा विभाग के निदेशक सुबल देबबर्मा ने आईएएनएस को बताया, हमने हाल में राज्य और राज्य के बाहर सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, स्वायत्तशासी निकाय और शैक्षिक संस्थानों में साइनबोर्ड, नाम पट्टिका और अन्य नोटिस बोर्ड पर जनजातीय नाम और भाषा के इस्तेमाल को अनिवार्य करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है।

उन्होंने कहा कि जनजातीय नाम और ‘कोकबोरोका भाषा’ लिखने के काम की निगरानी के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है।

त्रिपुरा सरकार की लगातार मांग के बाद, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय अगरतला हवाईअड्डे पर हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली के अतिरिक्त जनजातीय ‘कोकबरोक’ भाषा में उड़ान संबंधी सूचनाओं की घोषणा कर रहा है।

त्रिपुरा की कुल 37 लाख आबादी में एक-तिहाई हिस्सा आदिवासियों का है। राज्य के 1,166,813 आदिवासियों में से 60 प्रतिशत से अधिक कोकबोरोक भाषा बोलते हैं।

दिग्गज आदिवासी नेता और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के लोकसभा सदस्य जितेंद्र चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार संविधान की आठवीं अनुसूची में कोकबरोक भाषा को शामिल करने की मांग कर रही है।

उन्होंने कहा कि बोरोक या आदिवासी त्रिपुरी न केवल त्रिपुरा में, बल्कि अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी रहते हैं। वे उत्तराखंड और पड़ोसी देश बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल और भूटान में भी रहते हैं। इनकी कुल आबादी 15 लाख के करीब है।

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