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राफेल खरीद पर रक्षामंत्री के बयान पर येचुरी के सवाल

नई दिल्ली, 18 नवंबर (आईएएनएस)| राफेल खरीद को लेकर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से आए बयान पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने शनिवार को सवाल उठाया। वाम नेता ने कहा कि रद्द किए गए पहले के 126 लड़ाकू जेट विमानों के सौदे और मौजूदा 36 विमानों के सौदों की तुलनात्मक कीमतें क्यों नहीं साझा की गईं।

येचुरी ने एक ट्वीट में कहा, रक्षामंत्री के संवाददाता सम्मेलन में राफेल सौदे को लेकर जो जवाब मिला है, उससे कहीं ज्यादा उसपर सवाल उठ रहे हैं। मोदी सरकार सस्ती दरों पर राफेल विमानों की खरीद का दावा करती है तो फिर दोनों सौदों की तुलनात्मक कीमतें साझा क्यों नहीं करती है?

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राफेल सौदे की घोषणा किए जाने पर सवाल उठाया और पूछा, क्या 2015 में पेरिस में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर मोदी की ओर से घोषणा करने से पहले सुरक्षा से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की कोई बैठक हुई थी और उसमें इस फैसले को मंजूरी प्रदान की गई थी?

माकपा नेता ने यह भी सवाल उठाया कि 36 जेट विमानों के इस सौदे में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का उपबंध क्यों नहीं है?

उन्होंने कहा कि मोदी ‘मेक इन डंडिया’ का बखान करते हैं, लेकिन फ्रांस से किए गए सौदे में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की कोई बात शामिल नहीं है। उन्होंन कहा, क्या यही ‘मेक इन इंडिया’ है?

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के उन आरोपों को खारिज कर दिया था, जिनमें फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद के सौदों में अनियमितता बरते जाने की बात कही गई थी। रक्षामंत्री ने इस सौदे को पूर्व में मल्टी-रोल कांबैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) सौदे, जिसके तहत 126 लड़ाकू जेट विमानों की खरीद की जानेवाली थी, से सस्ता बताया।

हालांकि मंत्री ने इसकी पुष्टि में कोई तुलनात्मक कीमतों के आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए थे।

एमएमआरसीए सौदे के तहत फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट से बिक्री की उपलब्धता के आधार पर 18 राफेल विमानों की खरीद की जानी थी। साथ ही, 108 विमानों का निर्माण भारत में केंद्र सरकार के उपक्रम हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के द्वारा उत्पादन लाइसेंस के तहत किया जाना था।

सीतारमण ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से किए गए सौदे में किसी भी प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति की स्वीकृति के बाद ही सौदे पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

रक्षामंत्री ने बताया कि इस सौदे पर हस्ताक्षर सितंबर 2016 में किए गए थे, जबकि प्रधानमंत्री ने इससे डेढ़ साल पहले अप्रैल 2015 में इसकी घोषणा की थी।

मंत्री ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ 36 लड़ाकू विमानों के सौदे में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की बात व्यावहारिक नहीं थी।

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