इस मुस्लिम बहुल देश की करेंसी पर छपे हैं हिंदुओं के प्रथम पूजनीय ‘गणपति’
नई दिल्ली। इंडोनेशिया को मुस्लिम बहुल राष्ट्र के रूप में जाना जाता हैं, लेकिन इस देश से जुड़े कई ऐसे दिलचस्प पहलू भी हैं, जिनके बारे में हम नहीं जानते।
ऐसा ही एक तथ्य यह भी है कि मुस्लिम बहुल राष्ट्र होने के बावजूद यहां की करेंसी पर हिंदुओं के प्रथम पूजनीय देवता ‘गणपति’ का चित्र अंकित हैं। यहां के चौराहों पर कृष्ण-अर्जुन संवाद, घटोत्कच, भीम, अर्जुन की प्रतिमाएं मिलती हैं। ये सुनने में भले ही कुछ अटपटा और पहली नजर में विश्वास न कर पाने वाली बात हो, लेकिन ये बातें सोलह आने सच हैं।
इंडोनेशिया के कई और ऐसे ही बेहद दिलचस्प तथ्य हैं, जो आपको हैरान कर देंगे। इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित एक देश है। करीब 17हजार 508 द्वीपों वाले इस देश की जनसंख्या लगभग 23 करोड़ है।
यह दुनिया का चौथा सबसे अधिक आबादी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी वाला देश है। इसकी जमीनी सीमा पापुआ न्यू गिनी, पूर्वी तिमोर और मलेशिया के साथ मिलती है, जबकि अन्य पड़ोसी देशों में सिंगापुर, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल है।
इंडोनेशिया का पुराणों में नाम था दीपांतर
इंडोनेशिया के द्वीप हैं सुमात्रा और बाली। पूरे क्षेत्र में 7 शताब्दियों तक (छठवीं से 13वीं ईसा) विजय साम्राज्य का एकछत्र राज्य रहा है। उसका प्रभाव आंध्र के नागपट्टीनम तक था। इंडोनेशिया का तो मूल नाम ही हिंद-एशिया से निकला है। इतना ही नहीं, भारत के पुराणों में भी इसका जिक्र ‘दीपांतर’ भारत अर्थात सागर पार भारत के रूप में किया गया है। यहां यह नाम आज भी काफी प्रचलित है। यहां की करेंसी पर गणपति का चित्र होने के साथ-साथ आपको यह जानकर भी हैरत होगी कि यहां के मुसलमानों के नाम भी संस्कृत में होते हैं। इंडोनेशिया के प्रथम राष्ट्रपति सुकर्ण थे। उनकी बेटी का नाम मेघावती सुकर्णपुत्री था और यह नाम ओडिशा के महानायक बीजू पटनायक ने रखा था।
बता दें कि बुनी अथवा मुनि सभ्यता इंडोनेशिया की सबसे पुरानी सभ्यता है। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक ये सभ्यता काफी उन्नति कर चुकी थी। ये हिंदू धर्म का अनुसरण करते थे और ऋषि परम्परा का अनुकरण करते थे। यहां के चौराहों पर आज भी कृष्ण-अर्जुन संवाद, घटोत्कच, भीम और अर्जुन की प्रतिमाएं दिखाई देती हैं।
इंडोनेशिया का इतिहास विदेशियों से प्रभावित रहा है, जो क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों की वजह से खींचे चले आए है। मुस्लिम व्यापारी अपने साथ इस्लाम लाए और यूरोपीय शक्तियां यहां के मसाला व्यापार में एकाधिकार को लेकर एक दूसरे से लड़ीं। साढ़े तीन सौ साल के डच उपनिवेशवाद के बाद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस देश को स्वतंत्रता हासिल हुई।