अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिकी प्रतिनिधिसभा में कर कटौती को मंजूरी

वाशिंगटन, 17 नवंबर (आईएएनएस)| अमेरिकी प्रतिनिधिसभा ने कर कटौती योजना को मंजूरी प्रदान करते हुए एक बड़ी विधायी उपलब्धि हासिल की है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, गुरुवार को इस विधेयक को सदन में 227 के मुकाबले 205 वोट हासिल होना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रिपब्लिकन साथियों के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ है। जैसा कि उन्होंने इसे कारोबार व कारोबार से जुड़े लोगों के लिए कर कटौती के उनके इरादे को पूरा करने की दिशा में एक बड़ी विधायी उपलब्धि करार दिया है।

इस कर कटौती योजना से अगले एक दशक में 14 खरब डॉलर वित्तीय घाटा होने का अनुमान है। द्विपक्षीय अध्ययन के मुताबिक आखिरकार कर कटौती का लाभ ज्यादा कमाई करने वालों को मिलेगा और कुछ मध्यम-वर्गीय लोगों को ज्यादा कर देना पड़ सकता है।

इस कर कटौती योजना में व्यक्ति कर के सात ब्रैकेट को घटाकर चार ब्रैकेट में कर दिया गया है और कॉरपोरेट कर को 35 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी रखा गया है, जोकि कॉरपोरेट कर की दर का 1939 के बाद सबसे निचला स्तर है।

इसमें कई कर रियायतें व कटौती को भी समाप्त कर दिया गया है और चाइल्ड टैक्स क्रेडिट में वृद्धि की गई है। संपत्ति कर को 2025 तक के लिए समाप्त कर दिया गया है। साथ ही, अमेरिका में बहुराष्ट्रीय निगमों यानी मल्टीनेशनल कॉरपोरेशंस पर करारोपण के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं।

सदन के प्रवक्ता पॉल रेयान ने मतदान से पहले सांसदों से कहा, यह विधेयक एक मात्र सबसे बड़ी चीज है, जो हम अर्थवव्यस्था की संवृद्धि, अवसरों की बहाली, संघर्ष करने वाले मध्यमवर्गीय परिवारों की मदद के लिए कर सकते हैं।

ह्वाइट हाउस का तर्क था कि कॉरपोरेट कर में कटौती से अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी और इससे दीर्घावधि में तीन से पांच फीसदी की संवृद्धि दर हासिल की जा सकती है। साथ ही, अमेरिका में लोगों की सालाना आय औसतन 4,000 डॉलर बढ़ जाएगी।

थिंक टैंक टैक्स पॉलिसी सेंटर के मुताबिक, कर कटौती योजना से औसतन सभी आय वर्गो पर कर का भार 2018 और 2027 के बीच कम होगा। हालांकि डॉलर और कर अदा करने के बाद शेष आय को फीसदी में देखें तो इस कर कटौती का सर्वाधिक फायदा उच्च आय वर्ग के लोगों को मिलेगा।

सदन में डेमोक्रेट के सभी सदस्यों ने कर कटौती के विरोध में वोट किया। उनका कहना था कि यह योजना धनवान कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए है। उन्होंने सचेत किया है कि इससे देश के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ेगा।

अब आगे सबकी नजर सीनेट पर है। सीनेट में कर कटौती संस्करण पर चर्चा हो रही है और यह स्पष्ट नहीं है कि रिपब्लिकन पार्टी की अगुवाई वाली सरकार सीनेट में इस विधेयक को पास करने के लिए जरूरी वोट हासिल कर पाएगी।

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