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भारत सरकार एचसीएफसी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करेगी

नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)| पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने भारत में 2030 तक हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन्स (एचसीएफसी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई थी। इसके तहत इमारत सेक्टर में एचसीएफसी को खत्म करने तथा ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। ये कार्यशालाएं पर्यावरण मंत्रालय के ओजोन प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित की गईं, जिन्हें एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसिस लिमिटेड (ईईएसएल) व द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी) ने समर्थन दिया। यहां जारी एक बयान के अनुसार, अंतिम कार्यशाला दिल्ली में आयोजित की गई थी। इसमें जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों जैसे ज्ञानेश भारती, संयुक्त सचिव, पर्यावरण मंत्रालय, डॉ. अजय माथुर टेरी के महानिदेशक, अतुल बगई, यूएनईपी इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक सहित कई गणमान्य हस्तियों ने हिस्सा लिया।

बयान के अनुसार, इस कार्यशाला में इमारत सेक्टर में ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले एचसीएफसी को चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना पेश की गई, जिसके संबंध में विभिन्न नियमों को समझने, पक्षों की तैयारी को जानने, संभावित अड़चनों और कमियों का मूल्यांकन किया गया।

उल्लेखनीय है कि एचसीएफसी फेज आउट प्रबंधन योजना (एचपीएमपी) के पहले चरण के सफल क्रियान्वयन के बाद भारत सरकार ने मार्च, 2017 में दूसरा चरण लागू किया था। इस योजना का मुख्य पहलू सभी उद्योगों, खासतौर से सूक्ष्म और लघु सेक्टरों को तकनीकी सहायता देना है। इसके अतिरिक्त ईईएसएल 10 हजार इमारतों में अगले तीन साल के लिए ऊर्जा दक्षता वाले उपकरण लगाने का काम कर रही है।

बयान में कहा गया है कि ऊर्जा विशेषज्ञों ने भवनों में एचसीएफसी के लिए निम्न तीन आयामी योजना बनाई है, जिसके तहत पहला ऊर्जा दक्षता वाले उपकरणों से इमारतों में रेफ्रिजरेशन उपकरणों की मांग कम करना। दूसरा एचसीएफसी के स्थान पर ओजोन परत पर प्रभाव न डालने वाले पदार्थों का उपयोग करना और तीसरा ऐसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना, जिनसे ओजोन परत प्रभावित न होती हो।

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