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प्रदेश में सैन्य अधिकारी बनाने के लिए युवाओं को दी जाएगी ट्रेनिंग, सेना भी देगी साथ

देहरादून। युवाओं को सैन्य बलों की परीक्षाओं के लिए तैयार करने का जिम्मा अब राज्य सरकार उठायेगी। सरकार प्रदेश में अब जल्द गढ़वाल और कुमाऊं में दो प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने जा रही है।

प्रशिक्षण केंद्र खोलने का फैसला सीएम त्रिवेंद्र रावत और सेना के बैंगलोर सिलेक्शन सेंटर के कमांडेंट मेजर वीपीएस भाकुनी की मुलाकात के दौरान लिया गया। मेजर भाकुनी ने सीएम को प्रेजेंटेशन दिया जिसमें बताया गया कि वर्तमान में एनडीए और सीडीएस परीक्षाओं की सफलता दर आइएएस परीक्षा से भी कम है।

मेजर ने बताया कि सिविल सेवाओं के मुकाबले लगभग डेढ़ गुना ज्यादा अभ्यर्थी एनडीए और सीडीएस जैसी परीक्षाओं में आवेदन करते हैं। लेकिन सेना में भर्ती के लिए आवश्यक कॉम्प्रेहेन्सिव पर्सनेल्टी टेस्ट के कड़े मानकों के कारण उनकी सफलता दर कम हो जाती है।

बता दें कि सेना और अर्द्धसैनिक बलों में राज्य के युवाओं का ऑफिसर लेवल पर सलेक्शन प्रतिशत बढ़ाने के लिये उनको पहले से तैयार किया जाना जरूरी है। इसके लिये युवाओं का स्तरीय मानकों के तहत पर्सनालिटी डेवलपमेंट कार्यक्रम और साक्षात्कार प्रशिक्षण देना काफी लाभदायक होगा।

इसमें हामी भरते हुए सीएम ने कहा कि देवभूमि/वीरभूमि उत्तराखंड सैनिक बाहुल्य राज्य है और यहां के युवाओं में सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। युवाओं को उनकी प्रशिक्षित कर एनडीए और सीडीएस परीक्षाओं में उनकी सफलता का प्रतिशत बढ़ाया जायेगा।

बैठक में यह भी तय किया गया कि पहले चरण में कुमाऊं और गढ़वाल में ट्रेनिंग वर्कशॉपको ऐसे स्कूल-कॉलेज के भवनों में संचालित किया जाएगा, जहां होगी जहां पर्याप्त सुविधाएं हों। ये प्रशिक्षण कार्याशालाएं दो से तीन सप्ताह की होगी, जहां युवाओं को एनडीए और सीडीएस की चयन प्रक्रिया के तहत ही व्यक्तित्व विकास, साक्षात्कार व अन्य शारीरिक परीक्षणों के लिये प्रशिक्षित किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि सैनिक कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग से समन्वय कर प्रशिक्षण कार्यशालाओं के स्थायी केंद्र के रूप में स्कूल और कॉलेजकी बिल्डिंग को चयन किया जाएगा।

मेजर भाकुनीकी ने कहा पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होने पर प्रति वर्ष दस हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सकता है। इसके दूसरे चरण में 11वीं-12वीं के छात्र-छात्राओं के लिये राज्य सरकार स्थायी मिलिट्री/सैनिक स्कूल खोलने पर भी विचार किया जा सकता है।

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