भूमि सुधार के लिए गांधी जयंती पर देशव्यापी जनांदोलन : राजगोपाल
ग्वालियर, 8 नवंबर (आईएएनएस)| भूमि सुधार और गरीबों की समस्याओं को हल करने के लिए केन्द्र सरकार तत्काल ठोस कदम उठाए अन्यथा देशव्यापी जनांदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहे।
यह ऐलान बुधवार को एकता परिषद के संस्थापक पी.वी. राजगोपाल ने फूलबाग मैदान में आयोजित भूमि अधिकार जनसंसद में किया।
जनसंसद को सम्बोधित करते हुए राजगोपाल ने कहा कि आंदोलन के लिए नैतिक ताकत की जरूरत होती है, इसलिए यह जनांदोलन सुब्बाराव , दक्षिण की सामाजिक कार्यकर्ता ष्णामाल जगन्नाथ और विनोबा के शिष्य बालविजय भाई के नेतृत्व में गांधी जयंती 2018 के दिन देश के 200 जिलों में एक साथ प्रारंभ होगा, इसी दिन हजारों लोग नई दिल्ली के राजघाट पर सत्याग्रह करेंगे। पलवल से हजारों लोग पदयात्रा करेंगे।
उन्होंने कहा कि भूमि समस्या से आदिवासी, दलित और गरीब पीड़ित और शोषित हैं, इसके हल के लिए भूमि सुधार लागू करने की मांग की जा रही है।
जनसंसद के प्रारंभ में प्रख्यात गांधीवादी डा़ एस़ एऩ सुब्बाराव ने कहा कि भूमि सुधार का मुद्दा देश और गरीबों की खुशहाली से जुड़ा है तथा यह आजादी की दूसरी क्रांति से जुड़ा है।
एकता परिषद के अध्यक्ष डा़ रनसिंह परमार ने कहा कि सभी आवासीय भूमिहीनों को प्राथमिकता के क्रम में सरकार आवासीय भूमि का अधिकार बांटे।
पूर्व मंत्री और शिवुपरी के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हर एक व्यक्ति के पैर के नीचे जमीन और ऊपर छत की मांग को जायज ठहराते हुए राज्य और केन्द्र सरकार की नीतियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आगरा समझौते के बाद केन्द्र की वर्तमान सरकार ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया।
उन्होने जनसत्याग्रह यात्रा 2012 में ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपने वादे को पूरा करने की अपील की।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देश पर जनसंसद में पहुंची महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह ने कहा कि सरकार आदिवासियों को वनाधिकार, आवासीयभूमि अधिकार और आवास देने के लिए कृत संकल्पित है।
कोकराझार असम के सांसद हीरा ने आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया। आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि वनाधिकार कानून को लागू हुए 12 वर्ष हो गए, किंतु आदिवासियों को वनभूमि का अधिकार नहीं मिला, ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है।
जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भूमिहीनों को भूमि आवंटित किया जाना बहुत ही जरूरी है। वर्तमान में सरकार गरीब की बजाय उद्योगपतियों का ज्यादा ध्यान रख रही है। चुनाव में किए गए वादों से ऐसा लगता है कि जो जितना झूठ बोलता है उतना ही बड़ा नेता बन जाता है।
झारखण्ड के पूर्व विधायक गोपाल सागर राणा, श्योपुर की जिला पंचायत सदस्य ममता आदिवासी, तीसरी सरकार अभियान के चंद्रशेखर प्राण ने भूमि अधिकार को जरूरी बताया।
जनसंसद में उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, आंध्राप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, मणिपुर, असम, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल राज्यों के प्रतिनिधियों सहित मध्यप्रदेश और चम्बल के कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।
जनसंसद के पूर्व मेला मैदान से रैली निकालकर हजारों दलित और आदिवासियों ने अपने भूमि अधिकार की मांग करते हुए रैली निकाली जो फूलबाग मैदान पहुंचे।