भारतीय क्रिकेट में ‘क्रांतिकारी’ बदलाव लेकर आया 2001 का कोलकाता टेस्ट : कुम्बले
नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)| भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कोच अनिल कुंबले का मानना है कि 2001 में कोलकाता टेस्ट में आस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली रोमांचक जीत भारतीय क्रिकेट में एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई। इस मैच में जीत के बाद टीम ने अपनी असल काबिलियत को पहचाना और देश के अलावा विदेशों में भी शानदार प्रदर्शन को दोहराया। कुंबले का कहना है कि 1983 विश्व कप जीत ने उनकी पीढ़ी के कई खिलाड़ियों को प्ररेणा दी। कुम्बले के मुताबिक इस खिताबी जीत ने उनके जैसे हजारों खिलाड़ियों को यह प्रेरणा दी कि वे भी देश के लिए खेल सकते हैं और विश्व की दिग्गज टीमों को हरा सकते हैं।
कुंबले ने यह बातें मंगलवार को माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्या नडेला के साथ उनकी किताब ‘हिट रिफ्रेश’ पर विशेष परिचर्चा सत्र के दौरान कहीं।
नडेला ने जब कुंबले से पूछा की भारतीय क्रिकेट में ऐसा कौन सा पल रहा है, जिसने देश में क्रिकेट की तस्वीर को बदल दिया तो पूर्व भारतीय कप्तान ने 1983 विश्व कप और आस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत में 2001 में खेली गई टेस्ट सीरीज का जिक्र किया।
कुंबले ने कहा, जब मैं बड़ा हो रहा था तब 1983 विश्व कप की जीत काफी बड़ी थी। उसी से हम सभी को प्रेरणा मिली और यह सोचने लगे की आप अपने देश के लिए खेल सकते हो और दूसरी टीमों को हरा सकते हो। लेकिन अगर आप मुझसे भारतीय क्रिकेट का हिट रिफ्रेश मोमेंट पूछते हैं तो भारत और आस्ट्रेलिया की 2001 में भारत में खेली गई सीरीज है।
भारत के लिए टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले कुंबले ने कहा, हम वो सीरीज जीते थे। मैं चोट के कारण उस सीरीज में नहीं था लेकिन हमें वहां से पता चला था कि हमारे अंदर कितनी काबिलियत है। हम पहला टेस्ट हार चुके थे। दूसरे टेस्ट मैच में कोलकाता में उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी थीं, लेकिन इसके बाद द्रविड़ और लक्ष्मण ने रिकार्ड साझेदारी की और हम वो टेस्ट मैच जीत गए। इसके बाद हमने सीरीज पर कब्जा जमाया। तो मेरे लिए मेरी पीढ़ी में वह हिट रिफ्रेश मोमेंट था। इसके बाद 2002 में हमने इंग्लैंड का दौरा किया। वहां हेडिंग्ले में हमने टॉस जीता हरे विकेट पर पहली पारी में 600 से अधिकर रन बनाए। तब हमें लगा जो हम एक बार कर सकते हैं वो बार-बार कर सकते हैं।
गौरतलब है कि कोलकाता टेस्ट में भारत ने फॉलोऑन खेलने के बाद मात दी थी। इसी मैच की पहली पारी में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने टेस्ट में भारत की तरफ से पहली हैट्रिक लगाई थी। आस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन बनाए थे और भारत को 171 रनों पर ही ढेर करते हुए फॉलोऑन खेलने के लिए मजबूर किया था। भारत ने दूसरी पारी में लक्ष्मण (281) और द्रविड़ (180) के बीच पांचवें विकेट के लिए हुई रिकार्ड साझेदारी के दम पर 384 रनों का लक्ष्य दिया था और आस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 212 रनों पर ढेर करते हुए जीत हासिल की थी। हरभजन ने दूसरी पारी में भी छह विकेट लिए थे।
नडेला ने जब कुंबले से उनके करियर में बदलाव लाने वाले पल के बारे में पूछा तो इस दिग्गज गेंदबाद ने 2003-04 ऐडिलेड टेस्ट का जिक्र किया।
पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, अगरे मैं पीछे की तरफ देखता हूं तो एक पल है जिसने मेरे करियर को निश्चित तौर पर बदल दिया, वो है 2003-04 का आस्ट्रेलिया दौरा। मैं अंतिम एकादश में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहा था। उस समय मैं 30 साल का हो चुका था और जब आप इस उम्र में पहुंच जाते हैं तो भारतीय क्रिकेट में लोग आपसे पूछने लगते हैं कि आप संन्यास कब लेंगे।
उन्होंने कहा, मुझसे भी यह सवाल किया गया। मुझे एडिलेड में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में मौका मिला। पहला टेस्ट हमने ड्रॉ कर लिया था। पहले दिन आस्ट्रेलिया ने पांच विकेट के नुकसान पर 404 रन बना लिए थे और मैंने 100 रन देकर एक विकेट लिया था। उस रात मैंने सोचा था कि अब कुछ नया करने का समय है। मैंने सोचा की मैं अगले दिन गुगली डालने की कोशिश करूंगा। मैं अगले दिन लेग स्पिनर की जगह ऑफ स्पिनर की फील्डिंग लगाई। मैंने छह विकेट लिए। हमने वो टेस्ट मैच जीत लिया था। द्रविड़ और लक्ष्मण ने उस मैच में शतक जड़े थे। मेरे लिए यह हिट रिफ्रे ट मूवमेंट था। तब मुझे पता चला कि मुझमें कितनी काबिलियत है।
कुंबले वनडे और टेस्ट में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। वनडे में कुंबले के नाम 337 विकेट हैं तो टेस्ट में 619 विकेट दर्ज हैं। वह एक पारी में 10 विकेट लेने वाले भारत के पहले और विश्व के दूसरे गेंदबाज हैं। कुम्बले ने यह कारनामा पाकिस्तान के खिलाफ 1999 में फिरोजशाह कोटला मैदान पर किया था।