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ढाका के बच्चे का दिल्ली में हुआ सफल लीवर प्रत्यारोपण

नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)| राष्ट्रीय राजधानी के इंद्रप्रस्थ स्थित अपोलो अस्पताल में बांग्लादेश की राजधानी ढाका के दो साल 11 महीने के एक बच्चे का सफल लीवर प्रत्यारोपण किया गया है। बच्चा लीवर फेलियर का शिकार हो गया था। अमन जावेद उद्दीन को अगस्त के अंत में जौंडिस हुआ था, जो धीरे-धीरे खराब होता गया। उसे 11 सितंबर को ढाका के एक अस्पताल में दाखिल कराया गया। पता चला कि हेपेटाइटिस ए के कारण उसका लीवर फेल हो गया है। उसकी स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसे कोगुलोपैथी हो गई (प्रोथ्रोंबिन टाइम बढ़कर 70 सेकेंड हो गया, सामान्य 13 सेकेंड है) और वह कोमा में चला गया।

चिकित्सकों ने परिवार को बताया गया कि बच्चे को तुरंत लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है। परिवार ने अपोलो अस्पताल से संपर्क किया और तुरंत एक विमान की व्यवस्था की गई। भारतीय उच्चायोग ने रिकार्ड समय में वीजा जारी किया। बच्चा अपोलो अस्पताल पहुंचा और आकलन के बाद आपात स्थिति में लीवर ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया गया।

उपचार शुरू कर दिया गया ताकि बच्चे के मस्तिष्क को सेरेब्रल इडेमा से बचाया जा सके। बच्चे की मां तंजिम राहा का लीवर दान के लिए उपयुक्त पाया गया और दिल्ली पहुंचने के बाद 36 घंटे के अंदर 20 सितंबर को बच्चे में लिविंग रीलेटेड लीवर ट्रांसप्लांट कर दिया गया।

लीवर ट्रांसप्लांट सफल रहा और ऑपरेशन के बाद पांच दिनों में उसका एनसेफैलोपैथी ठीक हो गया था। वह अपने अभिभावकों को पहचानने और बोलने लगा।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और सीनियर पेडियोट्रिक गैसट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और हेपैटोलॉजिस्ट डॉ. अनुपम सिबल ने कहा, यह बहुत मुश्किल मामला था, क्योंकि बच्चा पहले से ही स्टेज 3 हेपैटिक एनसेफैलोपैथी में था। इसका मतलब हुआ कि उसका लीवर शरीर की खराब चीजों को निकाल नहीं पा रहा था और इससे उसके मस्तिष्क का काम-काज क्षतिग्रस्त हो रहा था। बच्चे की जान बचाने के लिए एक मात्र उपचार यही था कि आपात स्थिति में लीवर ट्रांसप्लांट किया जाए। हमें खुशी हुई कि अमन की हालत में उल्लेखनीय सुधार हुआ और उसे तीन सप्ताह में अस्पताल से छुट्टी मिल गई।

अपोलो अस्पताल दिल्ली में सीनियर लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. नीरव गोयल ने कहा, बच्चा बहुत बीमार था। हमलोगों ने उसकी स्थिति ठीक करने के लिए उसे तुरंत डायलिसिस पर रखा। बच्चे में ऐक्यूट लीवर फेलियर की स्थिति में लीवर ट्रांसप्लांट सामान्य लीवर ट्रांसप्लांट के मुकाबले ज्यादा मुश्किल होता है। अमन के मामले में खून निकलने पर अपने आप जमने में बहुत गड़बड़ी थी और यह भी अतिरिक्त चुनौती थी।

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