पैराडाइज पेपर्स की आंच से बचने को जयंत सिन्हा ने दी सफाई
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने पैराडाइज पेपर्स लीक में अपना नाम सामने आने पर सोमवार को कई सारे ट्वीट कर खुद का बचाव किया। सिन्हा ने कहा कि उनसे जुड़े सभी लेन-देन, जिसका खुलासा इंडियन एक्सप्रेस की जांच में किया गया है, का संबंधित प्राधिकरणों के समक्ष पूरी तरह खुलासा किया गया था, और ये उनकी ‘आधिकारिक हैसियत से किए गए थे, न कि निजी हैसियत से।’
‘पैराडाइज पेपर्स’ में लॉ कंपनी ‘एप्पलबाई’ के लीक हुए 1.34 करोड़ दस्तावेज हैं, जिसमें प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) और भारत समेत विदेशों के जाने-माने अमीरों द्वारा विदेशों के कर पनाहगाहों (कर चुकाने के लिहाज से स्वर्ग) में किए गए निवेश की जानकारी है।
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जर्मनी के अखबार ‘सुडुट्चे जीटंग’ ने इन दस्तावेजों को प्राप्त किया था तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ (आईसीआईजे) के साथ साझा किया था। द एक्सप्रेस ने इसकी छानबीन कर इस मामले से 714 भारतीयों के जुड़े होने की जानकारी दी है।
एक्सप्रेस की रपट में बताया गया है कि कानूनी कंपनी एप्पलबाई के रिकार्ड्स से पता चलता है कि सिन्हा ने ओमिदयार नेटवर्क और डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल से अपने संबंधों की निर्वाचन आयोग को जानकारी नहीं दी थी।
सिन्हा ने ट्वीट किया, “इंडियन एक्सप्रेस को पूरी जानकारी मुहैया करा दी गई है। यह वास्तविक और कानूनी लेन-देन अत्यधिक प्रतिष्ठित और विश्व के अग्रणी संगठनों की ओर से किए गए थे, जिसमें मेरी भूमिका ओमिदयार नेटवर्क में साझेदार और डी. लाइट के निदेशक मंडल में इसके नामित प्रतिनिधि के रूप में थी।”
उन्होंने कहा, “इन सभी लेन-देन का संबंधित प्राधिकरणों के समक्ष पूरी तरह से खुलासा किया गया था और सभी जरूरी फाइलें दाखिल की गई थीं। ओमिदयार नेटवर्क छोड़ने के बाद मुझे डी. लाइट के निदेशक मंडल में एक स्वतंत्र निदेशक के रूप में बने रहने को कहा गया।
लेकिन मंत्री बनने के बाद मैंने तुरंत डी. लाइट के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया और कंपनी के साथ भागीदारी को तोड़ दिया।”
सिन्हा ने कहा, “यह ध्यान देने योग्य है कि यह लेन-देन मैंने डी. लाइट के लिए ओमिदयार के प्रतिनिधि के तौर पर किए थे, न कि किसी व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए।”
द एक्सप्रेस की रपट के मुताबिक, सिन्हा भारत में ओमिदयार नेटवर्क के प्रबंध निदेशक के रूप में काम करते थे। ओमिदयार नेटवर्क ने अमेरिका की एक कंपनी डी. लाइट डिजाइन में निवेश किया था, जिसकी एक सहयोगी कंपनी कैरेबियन सागर के केमैन द्वीपसमूह में थी।
लेकिन उन्होंने इसकी घोषणा 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग के समक्ष नहीं की थी, न ही उन्होंने यह जानकारी लोकसभा सचिवालय या प्रधानमंत्री कार्यालय को राज्यमंत्री के रूप में दी।
इंडियन एक्सप्रेस की रपट में कहा गया है, “डी. लाइट डिजाइन इंक की स्थापना साल 2006 में कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में की गई थी, और इसकी इसी नाम से सहयोगी कंपनी केमैन द्वीपसमूह में नीदरलैंड के निवेशक के सहयोग से स्थापित की गई थी।
एप्पलबाई के रिकार्ड्स में एक कर्ज समझौते का उल्लेख है, जो 31 दिसंबर, 2012 को किया गया था। सिन्हा उस वक्त डी. लाइट डिजाइन के निदेशक थे, जब यह कर्ज समझौता हुआ था।”