इंजीनियरिंग की कोचिंग कराने वाले संस्थानों पर कसेगी नकेल, गाइडलाइंस का पालन करना होगा अनिवार्य
इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने वाले कुछ संस्थानों के छात्रों की खुदकुशी की घटनाओं के मद्देनजर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ऐसे कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर अंकुश लगाने की कवायद में जुटा हुआ है ।
इस मामले में वह गाइडलाइंस लाने जा रहा है। हालांकि, राजस्थान उच्च न्यायालय में एक मामला अटका होने की वजह से इन दिशानिर्देशों को जारी करने में कुछ समय लग सकता है।
कुछ दिन पहले ही आयोग ने हॉस्टलों को लेकर गाइडलाइंस जारी किए हैं। एनसीपीसीआर के सदस्य (शिक्षा एवं आरटीई) प्रियंक कानूनगो ने बताया, “कोचिंग संस्थानों खासकर इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने वाले संस्थानों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए हम दिशानिर्देश देने की तैयारी में है।”
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उन्होंने कहा कि दिशानिर्देश तय करने का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है, लेकिन एक केस कोर्ट में लंबित होने की वजह से फिलहाल हम इसे जारी नहीं कर सकते है। कोटा के कोचिंग संस्थानों से जुड़ा मामला जनवरी, 2016 से राजस्थान हाईकोर्ट में चल रहा है।
दरअसल, कोटा के कुछ संस्थानों में छात्रों की खुदकुशी की घटनाओं के बाद 2015 में आयोग की एक टीम ने कोटा का दौरा किया था और उसके बाद से ही आयोग ने कोचिंग संस्थानों के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का काम शुरू किया।
कानूनगो ने कहा, ‘‘ऐसे कोचिंग संस्थानों के रेगुलेटर्स की सख्त जरूरत है। हमने कई संस्थानों का दौरा किया और पाया कि वहां हालत बहुत खराब है। इन संस्थानों की किसी तरह की जवाबदेही नहीं है। हम राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला आने का इंतजार कर रहे हैं। फैसला आते ही कोचिंग संस्थानों को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे।’’