हरक सिंह के बयान से खुल गई सरकारों की पोल, कहा रोजगार व पलायन पर हुए फेल
देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश को बने हुए 17 साल होने जा रहे हैं। इस प्रदेश में विकास के तमाम दावे तो किए जाते हैं लेकिन जब यहीं सुनहरे सपनें दिखाने वाले नेता ही अपनी नाकामी का रोना रोने लगें तो फिर आप ही बताएं किससे उम्मीद की जाए। ये हम नहीं बल्कि खुद राज्य की सियायत के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक काबिना मंत्री हरक सिंह रावत कह रहे हैं।
हरक सिंह मानते हैं कि 17 सालों में जिस पायदान पर उत्तराखंड के विकास को पहुंचना चाहिए था वहां वो पहुंच नहीं सका है। उन्होंने माना की इन 17 सालों में सड़क और बिजली तो गांवों तक पहुंची हैं लेकिन युवाओं को रोजगार दिलाने में सरकारें असफल रही हैं। साथ ही उन्होंने गावों से हो रहे पलायन को भी सरकारों की नाकामी का कारण बताया। साथ ही उन्होंने शहीदों के सपनों को साकार ना होने और आंदोलनकारियों की उम्मीदों पर खरा ना उतर पाने की बात मानी है।
बता दें कि लखनऊ से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे यूपी के समय यहां के लोगों को लखनऊ सचिवालय में धक्के खाने पड़ते थे वैसा ही हाल अब यहां का भी हो गया है। यहां भी अब लोगों को अपनी समस्याओं के लिए भटकना पड़ रहा है।
वैसे बता दें कि सच्चाई के साथ कड़वा सच बोलना तो बहुत ही अच्छी बात है लेकिन सवाल ये है कि अगर प्रदेश की चार निर्वाचित सरकारों में से 3 सरकारों में मंत्री रहे और एक बार नेता प्रतिपक्ष भी रहे हरक सिंह रावत जैसे बड़े कद वाले नेता ऐसी बात करें तो फिर सवाल उठता है कि आखिर प्रदेश की बेरोजगारी व पलायन जैसी समस्याओं के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? बाल अवस्था से अपनी प्रौढ़वस्था की ओर बढ़ते हुए उत्तराखंड की जनता आज भी अपने सपनों के पूरा होने की उम्मीद में जी रही है।