सिस्टर रानी मारिया ‘धन्य शहीद’ घोषित
इंदौर, 4 नवंबर (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश के इंदौर में कैथोलिक समाज के लिए शनिवार का दिन अत्यंत खुशी और उत्साह लेकर आया। दरअसल गरीबों के लिए काम करते हुए एक जुल्मी के हाथों का शिकार बनीं सिस्टर रानी मारिया को ‘धन्य शहीद’ का दर्जा दिया गया है। इस मौके पर देश के चार प्रमुख कर्डिनल के साथ वेटिकन के पोप फ्रांसिस के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
इंदौर के बिशप चाको थोटूमारिकल ने शनिवार को बताया, इंदौर के सेंट पॉल स्कूल मैदान में आयोजित समारोह में यह प्रक्रिया पूरी हुई। इस समारोह में भारत के चार मुख्य कर्डिनल सिरो मलान्कारा के कर्डिनल बसेलियोस क्लिमीस, सिरो मलाबार कर्डिनल जॉर्ज आलंचेरी, मुंबई के कर्डिनल असवाल ग्रेशियस, और रांची के कर्डिनल तेलेसफोर टोप्पो मौजूद रहे। सी़ बी.सी़ आई के अध्यक्ष कर्डिनल क्लीमिस और कई बिशप, बड़ी संख्या में फादर और सिस्टर्स मौजूद रहे।
रानी मारिया की कहानी जहां एक तरफ अनूठे त्याग और सेवा की है, वहीं यह कहानी दिल को दहला देने वाली भी है। उनके परिवार ने मारिया के हत्यारे को क्षमा कर दिया था।
सिस्टर रानी मारिया का जन्म 29 जनवरी, 1954 को केरल के गांव पुल्लूवजी के एक किसान परिवार में हुआ था। वह वत्तालिल परिवार के पाईली-एलिशा की दूसरी सन्तान थीं। बचपन से ही उन्हें गरीबों के प्रति प्रेम था और यही चाह उन्हें मध्य भारत में खींच लाई।
उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि सिस्टर रानी मारिया ने 1972 में केरल के फ्रांसिसकन संस्था में पहली बार दाखिला लिया और एक मई, 1974 को व्रत धारण कर नया नाम सिस्टर रानी मारिया रख लिया। उन्होंने 1975 में उत्तर भारत के बिजनौर से अपना मिशन कार्य शुरू किया और 1992 में देवास जिले के उदयनगर में उनकी नियुक्ति हुई, जहां वह गरीब, भूमिहीन कृषि मजदूरों के बीच उनके अधिकारों के लिए लड़ती रहीं। जमींदारों के एक बड़े समूह ने कड़ी आपत्ति जताई, पर सिस्टर ने बिना परवाह किए सामाजिक कार्य जारी रखे।
अब से करीब 22 वर्ष पहले 25 फरवरी, 1995 को उन्हें देवास जिले के उदयनगर से भोपाल पहुंचना था। वह भोपाल से होकर केरल जाने वाली थीं। बस में यात्रा कर रही थीं, बस में तकरीबन 50 यात्री बैठे हुए थे। हमेशा की तरह उन्हें आगे की सीट मिल गई थी। समुंदर सिंह नामक व्यक्ति भी अपने साथियों के साथ बस के दरवाजे पर खड़ा था। उसकी नजर सिर्फ सिस्टर रानी मारिया पर थी। कुछ दूरी तय करने के बाद समुंदर सिंह ने सिस्टर से छेड़छाड़ शुरू कर दिया और फिर चाकू से उनपर वार किया। उसने सिस्टर रानी मारिया पर चाकू से 54 वार किया। सिस्टर सिर्फ ‘येसु येसु’ कहती रहीं और अपने प्राण त्याग दिए।
बाद में पता चला कि उनकी हत्या का मूल कारण आदिवासियों की मदद और जमींदारों के शोषण के खिलाफ उन्हें जागरूक बनाने से जुड़ा था। वे नहीं चाहते थे कि गरीब उनकी बराबरी करें, इसलिए एक-दो बार सिस्टर रानी मारिया को जान से मारने की धमकियां भी दी गई थीं। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और गरीबों की खातिर अपना जीवन कुर्बान कर दिया। उनकी इस अनमोल कुर्बानी के कारण कैथोलिक चर्च ने उन्हें यह विशेष दर्जा ‘धन्य शहीद’ की उपाधि प्रदान की है।
आरोपी समुंदर सिंह को न्यायालय ने 20 साल कारावास की सजा सुनाई। सिस्टर रानी मारिया के माता-पिता और प्रियजनों ने हत्यारे को माफ कर दिया और फिर न्यायालय से भी अपील की, उनकी सजा को कम कर दिया जाए।
सिस्टर रानी मारिया की मां ने हत्यारे के हाथों को चूम कर कहा था, इन हाथों पर मेरी बेटी का खून लगा है। मैं येसु के पवित्र नाम पर तुम्हें क्षमा कर देती हूं।
उनकी छोटी बहन सिस्टर सेल्मी पल ने 2002 में जेल जाकर समुंदर सिंह के हाथों में राखी बांध कर उसे माफ कर दिया था। इस काम में स्वर्गीय स्वामी सदानन्द की अहम भूमिका रही। उसके बाद से आज तक सेल्मी पल हर रक्षाबंधन के पावन पर्व पर समुंदर सिंह को राखी बांधती आ रही हैं। समंदर सिंह आज अपनी स्वेच्छा से कई प्रकार के भले कार्यो में लगा है और सिस्टर रानी मारिया की हत्या पर खेद जताता है।
सिस्टर रानी मारिया के पार्थिव शारीर को उदयनगर के गिरजाघर के बाहर दफनाया गया था, लेकिन अब उनकी कब्र को दोबारा खोदा गया और अभी उनके अवशेष को चर्च के अंदर एक नवनिर्मित समाधि में रखा गया है। वह स्थान लोगों के लिए तीर्थस्थल बन गया है।
इंदौर के बिशप चाको थोटूमारिकल ने कहा, सैकड़ों लोग सिस्टर रानी मारिया की कब्र पर आते हैं और ईश्वरीय कृपा की मांग करते हैं। अन्य धर्मो के लोगों ने भी उन्हें एक संत के रूप में स्वीकार किया है।
थोटूमारिकल के मुताबिक, कैथोलिक चर्च में किसी व्यक्ति को संत घोषित करने के चार चरण होते हैं। पहले चरण में मृत्यु के बाद पांच साल का इंतजार करना अनिवार्य है। दूसरे चरण में ईशू सेवक या सेविका की घोषणा होती है। तीसरे चरण में धन्य की उपाधि दी जाती है और चौथे चरण में संत की उपाधि प्रदान करने का प्रावधान है।