कैंसर से लड़ने के लिए 69 फीसदी के पास धन नहीं : सर्वेक्षण
नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)| कैंसर से जूझने के लिए 69 प्रतिशत लोगों के पास किसी प्रकार की वित्तीय तैयारी या सहायता या बीमा कवर नहीं होता है।
कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार, मुश्किल से 21 प्रतिशत लोगों के पास विशिष्ट ‘कैंसर’ बीमा कवर होता है, जिससे उनका मेडिकल खर्च निकलता है। 26 प्रतिशत लोग इलाज के खर्च के लिए कर्ज लेते हैं। फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस (एफजीआईएलआई) द्वारा शोध कंपनी आईपीएसओएस के साथ मिलकर देश भर में किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
सर्वेक्षण के अनुसार, करीब 63 प्रतिशत कैंसर रोगियों ने इलाज और इससे जुड़े अन्य खर्चो को कवर करने के लिए कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेने की बात कबूली है। 31 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कैंसर से लड़ने के लिए वित्तीय योजना की जरूरत पर विचार-विमर्श भी नहीं किया है। यह आंकड़ा खतरे की घंटी है।
कैंसर विशेषज्ञ मानते हैं कि तीन में से दो कैंसर मरीजों में बीमारी का पता तीसरे या चौथे चरण में ही चल पाता है, इस तरह इलाज का खर्च बहुत अधिक आता है। ज्यादातर लोग इलाज के खर्च को पूरा करने के लिए या तो निजी बचत की ओर देखते हैं या फिर पर्सनल लोन लेते हैं।
यह सर्वेक्षण 11 बड़े शहरों में 25 वर्ष और इससे ज्यादा आयु-वर्ग के नागरिकों के बीच और मेट्रो शहरों में 40 अनुभवी कैंसर विशेषज्ञों के बीच किया गया। इस अनुसंधान का मुख्य मकसद जागरूकता-स्तर का मूल्यांकन करना, वित्तीय तैयारी पर नजर रखना और कैंसर के विषय में प्रतिभागियों की धारणा और वित्तीय जटिलता की वास्तविकता के बीच के अंतर का पता लगाना था।
फ्यूचर जनरली के ‘कैंसर फाइनेंशियल प्रीपेयर्डनेस सर्वे’ के नतीजे इस तथ्य को उजागर करते हैं कि आम लोगों के बीच कैंसर के मामलों, चरण, प्रकार, इलाज के खचरें को लेकर जागरूकता कम है।
सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार, 56 प्रतिशत लोग अपने परिवार और दोस्तों के बीच कैंसर के होने को लेकर अनभिज्ञ थे। यह खतरे की घंटी है, खास कर इसको देखते हुए कि कैंसर चिकित्सकों ने अनुमान लगाया है कि साल 2020 तक हर 10 भारतीयों में से तीन लोग कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं।
सर्वे में सामने आया है कि 65.7 प्रतिशत (हर तीन में से दो) कैंसर मरीजों में बीमारी का पता तीसरे या चौथे चरण में होता है।
करीब 42 फीसदी लोगों ने कैंसर के विभिन्न चरणों के बारे में ‘कुछ न कुछ’ जानकारी होने का दावा किया, वहीं 28 प्रतिशत यह सोचते हैं कि वे कैंसर को लेकर ‘पूरी तरह जागरूक’ हैं। इसके ठीक विपरीत कैंसर विशेषज्ञों के सर्वे से पता चलता है कि सिर्फ सात प्रतिशत मरीज कैंसर के विभिन्न चरणों के बारे में ‘पूरी तरह से जागरूक’ हैं, जबकि 30 प्रतिशत इसके बारे में ‘ठीकठाक जानकारी’ रखते हैं।
कैंसर के चरण, मरीज की अस्थिरता और जरूरी दवाइयां संबंधी सुविधाओं के स्तर को देखते हुए, कैंसर का इलाज पांच लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच चला जाता है।
फ्यूचर जनरली इंडिया लाइफ इंश्युरेंस के सीईओ और एमडी मुनीष शारदा ने कहा, हमने यह शोध इसलिए कराया, ताकि पता चले कि इस जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए लोगों ने क्या वित्तीय तैयारियां की हैं। फ्यूचर जनरली कैंसर प्रोटेक्ट प्लान एक व्यापक कैंसर बीमा है। यह ग्राहकों को इलाज के बाद की वित्तीय जरूरतों का ख्याल रखने के लिए आय का एक विकल्प भी प्रदान करता है।
कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई के कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. संदीप गोयल ने कहा, सही निदान ही कैंसर के इलाज का खर्च निर्धारित कर सकता है। बीमारी की आरंभिक पहचान और इलाज के कुल खर्च के बारे में जागरूकता फैलाने की साफ तौर पर जरूरत है।
भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन बीमा वितरक पॉलिसी बाजार के सीईओ और संस्थापक यशीष दहिया ने कहा, भारत में इसे लेकर कोई सामाजिक सुरक्षा तंत्र नहीं है, ऐसे में हमारा विश्वास है कि रोग विशिष्ट उत्पाद जैसे कि कैंसर बीमा कवर लोगों के लिए अत्यंत जरूरी है।